लोस चुनाव : पश्चिमी उप्र के वोटरों का विश्वास जीतने में नाकाम रहे निर्दलीय

लखनऊ, 25 अप्रैल (हि.स.)। देश में पहली बार हुए आम चुनाव से अब तक मतदाताओं की नजर में बडे़ दल और बडे़ नाम वाले प्रत्याशी ही हीरो रहे हैं। देश की संसदीय इतिहास पर नजर डालें तो निर्दलीय रूप से चुनाव मैदान में उतरे अधिकांश प्रत्याशियों को वोटरों ने बाहर का रास्ता ही दिखाया है। पश्चिम उप्र के वोटरों का विश्वास जीतने में निर्दलीय प्रत्याशी हमेशा से नाकाम रहे हैं।

गौरतलब है कि 1952 से 2019 के बीच 17 बार हुए आम चुनाव में पश्चिमी उप्र से अब तक 13 आजाद उम्मीदवार ही चुनाव जीत सके हैं। फिरोजाबाद और पीलीभीत संसदीय सीटों से दो बार निर्दलीय प्रत्याशी सांसद बनने का गौरव प्राप्त कर पाए हैं।

यहां नहीं किया कभी भरोसा

साल 1952 में हुए पहले आम चुनाव से लेकर 2019 में हुए 17वीं लोकसभा के लिए हुए चुनावों पर नजर डाले तो पाएंगे कि सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, नगीना (सु0), रामपुर, मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर (सु0), संभल, हाथरस (सु0), आगरा (सु0), फतेहपुर सीकरी, मैनपुरी, बदायूं, आंवला और बरेली की जनता ने अब तक किसी भी निर्दलीय को संसद तक नहीं पहुंचाया है। वहीं पूर्व में लोकसभा सीट रहे खुर्जा से भी कोई आजाद उम्मीदवार जीत का पताका नहीं फहरा सका। इस बार 2024 में 18वीं लोकसभा के लिए होने जा रहे चुनावों में भी किसी निर्दलीय प्रत्याशी के चुनाव जीतकर संसद पहुंचने की संभावनाएं कम ही लग रही हैं।

यहां से खुला था संसद का रास्ता

दूसरी लोकसभा के लिए 1957 में हुए आम चुनाव में बिजनौर संसीदय सीट से अब्दुल लतीफ गांधी और सुहाग नगरी फिरोजबाद से निर्दलीय प्रत्याशी बृजराज सिंह ने जीत का झंडा गाड़ा था। साल 1962 में तीसरी लोकसभा के गठन के लिए हुए चुनाव में कैराना सीट से यशपाल सिंह और पीतल नगरी मुरादाबाद संसदीय सीट से आजाद उम्मीदवार सैयद मुजफ्फर हुसैन जीतकर संसद पहुंचे थे।

1967 के आम चुनाव में पश्चिम उप्र से चार निर्दलीय विजयी रहे। इनमें तालानगरी अलीगढ़ से शिव कुमार शास्त्री, श्रीकृष्ण नगरी मथुरा से गिरिराज शरण सिंह,बागपत से रघुवीर सिंह शास्त्री और पूर्व में लोकसभा सीट रही हापुड़ से प्रकाश वीर शास्त्री ने जीत का परचम फहराया था।

1980 के आम चुनाव में कांच नगरी फिरोजाबाद से राजेश कुमार सिंह और 1998 और 1999 के आम चुनाव में लगातार दो बार पीलीभीत सीट से आजाद उम्मीदवार मेनका गांधी ने शानदार जीत दर्ज की। वहीं ढोलक नगरी अमरोहा से 2004 में हरीश नागपाल ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज कर संसद की दहलीज पर कदम रखा। एटा से 2009 में 15वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में कल्याण सिंह ने आजाद सांसद के रूप में जरूर कदम रखा।

पश्चिम उत्तर प्रदेश में 26 संसदीय सीटें

सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना सु0, मुरादाबाद, रामपुर, संभल, अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, हाथरस सु0, मथुरा, आगरा सु0, फतेहपुर सीकरी, फिरोजाबाद, मैनपुरी, एटा, बदायूं, आंवला, बरेली और पीलीभीत शामिल है।

पश्चिमी उप्र से संसद पहुंचे आजाद उम्मीदवार

1957 - बिजनौर - अब्दुल लतीफ गांधी

1957 - फिरोजाबाद - बृजराज सिंह

1962 - कैराना- यशपाल सिंह

1962 - मुरादाबाद - सैयद मुजफ्फर हुसैन

1967 - अलीगढ़ - शिव कुमार शास्त्री

1967 - मथुरा - गिरिराज शरण सिंह

1967 - बागपत - रघुवीर सिंह शास्त्री

1967 - हापुड़ - प्रकाश वीर शास्त्री

1980 - फिरोजाबाद - राजेश कुमार सिंह

1998 - पीलीभीत - मेनका गांधी

1999 - पीलीभीत - मेनका गांधी

2004 - अमरोहा - हरीश नागपाल

2009 - एटा - कल्याण सिंह

हिन्दुस्थान समाचार/ डॉ.आशीष वशिष्ठ

   

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