दुनिया के सामने नई चुनौतियों के चलते ही कई देशों में शासन का पतन हुआ : आर्मी चीफ
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- Mar 16, 2025

- नए खतरों में आतंकवाद, कट्टरपंथ और बड़े पैमाने पर साइबर हमले भी शामिल
नई दिल्ली, 16 मार्च (हि.स.)। भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा है कि इस समय दुनिया नई चुनौतियों का सामना कर रही है, जिसके कारण इराक, लीबिया, सीरिया, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और कई अन्य देशों में शासन का पतन हुआ है। अंशकालिक मित्रता एक नई उभरती हुई घटना है, जिसे 'मजबूरी में दोस्त' भी कहा जाता है। एक निर्वाचित सरकार की अवधि या एक निर्वाचित नेता का पतन एक राष्ट्र के पूरे दृष्टिकोण को बदल रहा है।
जनरल उपेंद्र द्विवेदी रविवार को नई दिल्ली में देश के पहले आर्मी चीफ ऑफ स्टाफ जनरल बिपिन रावत की याद में चौथे व्याख्यान 'उभरते वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में बदलते प्रतिमान' विषय पर व्याख्यान दे रहे थे। उन्होंने कहा, हम देखते हैं कि अमेरिका, कनाडा या बांग्लादेश में क्या हो रहा है। दुनिया यूक्रेन और गाजा में दो बड़े संघर्षों से अभी-अभी उबर रही है, जिसमें अधिकांश देशों ने यथार्थवाद, आदर्शवाद या धर्म के आधार पर पक्ष लिया था। इस उथल-पुथल में चल रहे उप-राष्ट्रीय संघर्ष और वैश्विक शांति के लिए आम खतरे जैसे आतंकवाद, कट्टरपंथ और बड़े पैमाने पर साइबर हमले भी शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि यदि मौजूदा विवादों को देखें, तो हम पाते हैं कि चीन, एशिया, अफ्रीका और यूरोप में अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव निवेशों के जरिये स्थापित नियम-आधारित प्रणाली को चुनौती दे रहा है। अमेरिका गठबंधनों को मजबूत करके और एक मुक्त इंडो-पैसिफिक को बढ़ावा देकर जवाब दे रहा है। यूरोप चीन और अमेरिका के साथ मिलकर मानवाधिकारों के अपने सिद्धांत को बनाए रखने का प्रयास कर रहा है। अफ्रीका दोनों ब्लॉकों से निवेश प्राप्त करने की कोशिश कर रहा है और वैश्विक दक्षिण तेजी से एक बहुध्रुवीय दुनिया की मांग कर रहा है, जो विविध हितों को दर्शाती है।
जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि चीन ने ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के समुद्री क्षेत्र के बीच जहाज अग्नि अभ्यास करके अपने संकेत को बढ़ाया है। इस शक्ति संघर्ष में उत्तर कोरिया चुपचाप सैन्य रूप से मजबूत होता जा रहा है। यहां तक कि वैश्विक कॉमन्स महासागर, बाहरी अंतरिक्ष, साइबर स्पेस और वायुमंडल भी उसी भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण खतरे में हैं। गलत सूचना विश्वास को कमजोर करती है, जबकि आर्थिक असमानताएं और संसाधन प्रतिस्पर्धा अशांति और पलायन को बढ़ावा देती है। इन खतरों से निपटने के लिए वैश्विक सहयोग, लचीलापन और अनुकूल सुरक्षा रणनीतियों की आवश्यकता है।
हिन्दुस्थान समाचार / सुनीत निगम