श्री रामलला मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास के ब्रह्मलीन होने पर मुख्यमंत्री योगी व राम मंदिर ट्रस्ट ने जताया शोक
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- Feb 12, 2025
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अयोध्या, 12 फ़रवरी (हि.स.)। रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास (87) ने बुधवार की सुबह लखनऊ स्थित पीजीआई में अंतिम सांस ली। वह कई दिनों से बीमार चल रहे थे। उनके ब्रह्मलीन होने की सूचना मिलते ही राजनीतिक गलियारों और साधु-संतों में शोक की लहर दौड़ गई। चार दिन पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीजीआई पहुंचकर उनका हाल जाना था और हर संभव मदद का आश्वासन दिया था। मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेट फार्म एक्स पर इसे अत्यंय दुखद व आध्यात्मिक जगत की अपूर्णीय क्षति बताया है। उन्होंने आचार्य को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए प्रभु श्रीराम से प्रार्थना की है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों मे स्थान दें। उन्होंने शोक संतप्त शिष्यों एवं अनुयायियों को दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रभु से कामना की है। अयोध्या धाम से श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चम्पत राय व मन्दिर व्यवस्था से जुड़े अन्य लोगों ने मुख्य अर्चक के देहावसान पर गहरी संवेदना व्यक्त की है।
श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास के ब्रह्मलीन के बाद ट्रस्ट की ओर से बताया गया कि माघ पूर्णिमा के पवित्र दिन प्रातः सात बजे के लगभग उन्होंने पीजीआई में अंतिम सांस ली। वह वर्ष 1992 से श्री रामलला की सेवा पूजा कर रहे थे। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चम्पत राय व मन्दिर व्यवस्था से जुड़े अन्य लोगों ने मुख्य अर्चक के देहावसान पर गहरी संवेदना व्यक्त की है।
पिछले रविवार को आचर्य सत्येंद्र दास की शाम के समय तबीयत बिगड़ने के बाद पुजारी प्रदीप दास ने उन्हें श्रीराम चिकित्सालय में भर्ती कराया था। बीपी बढ़ने की बात सामने आई थी। इसके बाद उन्हें मेडिकल कालेज रेफर कर दिया गया था। तबीयत में सुधार न होने पर पीजीआई रेफर किया गया था, जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहुंचकर हाल जाना था।
आचार्य सत्येंद्र दास अयोध्या में विवादित ढांचे के ध्वस्त होने से लेकर भव्य मंदिर के निर्माण तक के साक्षी रहे। वह 1992 से रामलला की सेवा में लगे हुए थे। उन्होंने टेंट से लेकर भव्य मंदिर में विराजमान होने तक रामलला की सेवा की। उन्होंने 1975 में संस्कृत में आचार्य की डिग्री ली और फिर अयोध्या के संस्कृत महाविद्यालय में सहायक अध्यापक के तौर पर नौकरी शुरू की थी। आचार्य सत्येंद्र दास अध्यापक की नौकरी छोड़कर पुजारी बने थे।
आचार्य सत्येंद्र दास ने टेंट से लेकर रामलला के भव्य मंदिर में विराजमान होने के साक्षी बने। हालांकि उन्होंने रामलला के भव्य मंदिर में विराजमान होने के बाद कार्यमुक्त करने का निवेदन भी किया था, लेकिन राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की तरफ से इनकार कर दिया गया। कहा गया कि वह मुख्य पुजारी बने रहेंगे। साथ ही वह जब चाहें मंदिर में रामलला की पूजा कर सकते हैं। उनके लिए कोई शर्त की बाध्यता नहीं रहेगी। आचार्य सत्येंद्र दास संतकबीर नगर के एक ब्राह्मण परिवार से थे। 50 के दशक के शुरू में अयोध्या आए और अभिरामदास के शिष्य बने। आचार्य सत्येंद्र दास, राम विलास वेदांती और हनुमान गढ़ी के संत धर्मदास तीनों गुरुभाई हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / पवन पाण्डेय