भीलवाड़ा के बिजोलिया में पर्यटन हब बनने की संभावना

भीलवाड़ा के बिजोलिया में पर्यटन हब बनने की संभावना

भीलवाड़ा, 19 अक्टूबर (हि.स.)। जलधारा विकास संस्थान और जनार्दन राय नगर राजस्थान विद्यापीठ, डीम्ड यूनिवर्सिटी के सहयोग से आयोजित भीलवाड़ा पुरा प्राचीन वैभव महोत्सव के चतुर्थ दिवस पर शनिवार को बिजोलिया क्षेत्र में 10,000 से 20,000 साल पुरानी शैल चित्रों की खोज पर चर्चा की गई। इस अवसर पर विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से इस क्षेत्र की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का अवलोकन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत झरिया महादेव बिजोलिया में रॉक पेंटिंग पर शोध कार्य के साथ हुई, जिसका नेतृत्व बूंदी के प्रसिद्ध पुरातत्ववेत्ता ओमप्रकाश कुकी ने किया। उन्होंने बताया कि यह शैल चित्र पाषाण कालीन हैं और मानव जीवन के प्रारंभिक इतिहास को दर्शाते हैं।

कार्यशाला में ओमप्रकाश कुकी ने बिजोलिया की विशिष्टताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यहां के रॉक पेंटिंग्स, मंदिर और प्राकृतिक भू आकृतियां, पर्यटन के लिए एक बड़े आधार का काम कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि कई पर्यटक इस क्षेत्र की अनोखी शैल चित्रों को देखने आते हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर पर्यटन संरक्षण का अभाव है।

जलधारा विकास संस्थान के अध्यक्ष महेश चंद्र नवहाल ने बताया कि बिजोलिया क्षेत्र में अछूते पृष्ठ को जन-जन में लाने के लिए यह महोत्सव आयोजित किया गया है। यहां की धरोहर, मंदिर, और झरने पर्यटकों को आकर्षित कर सकते हैं। भू वैज्ञानिक प्रोफेसर केके शर्मा ने भी इस क्षेत्र के भूगर्भीय महत्व को बताते हुए कहा कि यह क्षेत्र प्राचीन पाषाण कालीन गुफा चित्रों और औजारों से समृद्ध है।

कार्यशाला के दौरान डॉ. अभिषेक श्रीवास्तव ने क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिससे स्थानीय रोजगार और आय में वृद्धि हो सके। स्थानीय जनप्रतिनिधि हितेंद्र राजोरा ने इस क्षेत्र के पर्यटन और संरक्षण को बढ़ाने का संकल्प व्यक्त किया। कार्यक्रम के अंत में, विद्यालय परिवार की ओर से दिलीप सिंह और सुरेंद्र सिंह पुरावत ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया। यह महोत्सव बिजोलिया क्षेत्र के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करने और उसे राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

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हिन्दुस्थान समाचार / मूलचंद

   

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