भारत को 2030 तक 600 गीगावाट स्वच्छ ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य रखना चाहिए : सीईईडब्ल्यू
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- Mar 12, 2025

नई दिल्ली, 12 मार्च (हि.स.)। भारत को बिजली की बढ़ती मांग को विश्वसनीय और किफायती ढंग से पूरा करने के लिए अपनी स्वच्छ ऊर्जा क्षमता को 2030 तक 600 गीगावाट तक बढ़ाना होगा। यह जानकारी काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) की नई रिपोर्ट ‘हाउ कैन इंडिया मीट इट्स राइजिंग पॉवर डिमांड? पाथवेज टू 2030’ से सामने आई है। इसे बुधवार को नई दिल्ली में आयोजित नेशनल डायलॉग ऑन पॉवरिंग इंडियाज फ्यूचर कार्यक्रम में जारी किया गया। यह अपनी तरह का पहला अध्ययन है, जिसने 2030 में प्रत्येक 15 मिनट के लिए भारत के पॉवर सिस्टम डिस्पैच का मॉडल बनाया है।
इससे सामने आया है कि अगर बिजली की मांग केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) के पूर्व-आकलन के अनुरूप बढ़ती है तो भारत की मौजूदा, निर्माणाधीन और नियोजित बिजली उत्पादन क्षमता 2030 में बिजली जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त होगी। हालांकि यदि आगामी पांच वर्षों में ग्लोबल वार्मिंग या तेज आर्थिक विकास के कारण बिजली की मांग मौजूदा अनुमानों से अधिक तेजी से बढ़ी तो सीईईडब्ल्यू के अध्ययन के अनुसार 2030 तक अक्षय ऊर्जा की उच्च हिस्सेदारी के साथ 600 गीगावाट गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता का रास्ता सबसे उपयुक्त और किफायती विकल्प होगा। इसमें 377 गीगावाट सौर ऊर्जा, 148 गीगावाट पवन ऊर्जा, 62 गीगावाट जलविद्युत और 20 गीगावाट परमाणु ऊर्जा शामिल होगी। यह अध्ययन ऐसे समय में आया है, जब फरवरी 2025 में देश में बिजली की मांग रिकॉर्ड 238 गीगावाट तक पहुंच गई और असामान्य उच्च तापमान के कारण आने वाले गर्मी के महीनों में पीक डिमांड 260 गीगावाट तक पहुंचने की उम्मीद है, जो पूर्व आंकलन से अधिक है।
केंद्रीय विद्युत एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्रीपद येसो नाइक ने कहा कि हमने गैर-जीवाश्म ईंधन की क्षमता बढ़ाने और 2070 तक नेट जीरो तक पहुंचने के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किए हैं। ये लक्ष्य विकसित भारत के लिए आवश्यक हैं। गैर-जीवाश्म क्षमता 2014 में 76 गीगावाट से लेकर 2025 में 220 गीगावाट पहुंचने तक, हमारी स्वच्छ ऊर्जा की यात्रा शानदार रही है।
पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और सीईईडब्ल्यू के ट्रस्टी डॉ. सुरेश प्रभु ने कहा कि भारत का ऊर्जा परिवर्तन उसकी आर्थिक महत्वाकांक्षाओं के अनुरूप होना चाहिए। हमें अभी नवीकरणीय ऊर्जा की उच्च हिस्सेदारी रखने की योजना बनानी होगी, ताकि कल यानी भविष्य के लिए सही बाजार संकेत भेजे जा सकें। सीईईडब्ल्यू रिपोर्ट ने 2030 में भारत के बिजली क्षेत्र के लिए कई परिदृश्यों के मॉडल बनाए हैं। इसमें एक बेसलाइन परिदृश्य भी शामिल है, जिसमें माना गया है कि बिजली की मांग सीईए के पूर्वाकलन के अनुसार बढ़ेगी और भारत 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन लक्ष्य हासिल कर लेगा। हालांकि, अगर भारत अपना स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्य नहीं पूरा करता है और 2030 तक सिर्फ 400 गीगावाट गैर-जीवाश्म क्षमता तक पहुंच पाता है, तो बिजली की कमी हो सकती है, जिसे पूरा करने के लिए 10-16 गीगावाट नई कोयला क्षमता की जरूरत होगी और ग्रिड की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए ट्रांसमिशन नेटवर्क में भी महत्वपूर्ण सुधार करने पड़ेंगे।
डॉ. अरुणाभा घोष, सीईओ, सीईईडब्ल्यू, ने कहा कि भारत ने अपने बिजली क्षेत्र का तेजी से विस्तार किया है। 2023 तक 98 प्रतिशत घरों में बिजली पहुंचाने और सौर व पवन ऊर्जा क्षमता को 2013 से पांच गुना करने के साथ, यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बिजली उत्पादक देश बन गया है।
इस दौरान
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अध्यक्ष घनश्याम प्रसाद, विद्युत वितरण कंपनियों के अधिकारी और निजी क्षेत्र के व्यक्ति मौजूद रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी