हिसार का क्षेत्रीय अभिलेखागार कार्यालय निभा रहा इतिहास की धरोहर को संरक्षक का दायित्व

अभिलेखागार विभाग में रखे हुए ऐतिहासिक रिकॉर्ड की प्रति।

प्रदर्शनी के माध्यम से जनता को दुर्लभ ऐतिहासिक साक्ष्यों से रूबरू करवाएगा विभाग

हिसार, 5 मार्च (राजेश्वर बैनीवाल)। इतिहास को सहेजने और नई पीढ़ी तक पहुंचाने के महत्वपूर्ण कार्य में अभिलेखागार विभाग की भूमिका अहम है। वर्ष 1986 में स्थापित हिसार क्षेत्रीय अभिलेखागार कार्यालय यहां के लघु सचिवालय के द्वितीय तल पर स्थित है। यह कार्यालय ऐतिहासिक दस्तावेजों, पांडुलिपियों, पत्रों, डायरियों और दुर्लभ फाइलों का संग्रहण और संरक्षण करता है।सहायक निदेशक अनिल कुमार का कहना है कि हिसार क्षेत्रीय अभिलेखागार के अंतर्गत हिसार, जींद, सिरसा और फतेहाबाद जिले आते हैं। विभाग का कार्य सिर्फ अभिलेखों को संग्रहित करना ही नहीं है, बल्कि सरकारी विभागों को मार्गदर्शन देना भी है कि किन रिकॉर्ड्स को नष्ट किया जाना चाहिए और किन्हें सहेज कर रखना जरूरी है। यह विभाग ऐतिहासिक, प्रशासनिक, धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व के सरकारी और निजी अभिलेखों का सर्वेक्षण कर उन्हें सुरक्षित करता है।आम जनता और शोधार्थियों को इतिहास के प्रति जागरूक करने के लिए अभिलेखागार विभाग समय-समय पर ऐतिहासिक प्रदर्शनी आयोजित करता है। अनिल कुमार ने बताया कि विभाग ने आजादी की 75वीं वर्षगांठ और स्वर्ण जयंती वर्ष जैसे महत्वपूर्ण अवसरों पर भी प्रदर्शनी लगाकर ऐतिहासिक दस्तावेजों और छाया चित्रों को प्रदर्शित किया है। मार्च माह में एक भव्य ऐतिहासिक प्रदर्शनी आयोजित की जाएगी, जिसमें जनता को दुर्लभ ऐतिहासिक साक्ष्यों से रूबरू कराया जाएगा।दुर्लभ ऐतिहासिक दस्तावेज और पुस्तकालयअभिलेखागार विभाग के पास 1803 से लेकर अब तक के ऐतिहासिक रिकॉर्ड मौजूद हैं। इनमें 1899 से जेल रिकॉर्ड, उपायुक्त कार्यालय से जुड़ी पुरानी फाइलें, सेंट्रल जेल के दस्तावेज, हिंदी आंदोलन, आपातकाल और ऐतिहासिक गजट नोटिफिकेशन शामिल हैं। इसके अलावा विभाग के पास स्वतंत्रता सेनानियों और ऐतिहासिक हस्तियों जैसे बलवंत राय तायल, दादा गणेशी लाल, लाल हरदेव सहाय और लाल हुकुमचंद के हस्तलिखित पत्र और डायरियां भी संग्रहित हैं। विभाग की लाइब्रेरी में लगभग 5500 पुस्तकें हैं, जो शोधार्थियों और इतिहास प्रेमियों के लिए ज्ञान का खजाना हैं। शोधकर्ता विभाग से पूर्व अनुमति लेकर अभिलेखों का अध्ययन कर सकते हैं। मांगे गए दस्तावेजों की माइक्रोफिल्म या फोटोकॉपी की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाती है। दस्तावेजों की मांग पर शोधार्थियों को एक निर्धारित फॉर्म भरकर अनुमति लेनी होती है। इन सेवाओं के लिए अधिकतम 15 दिन की समय सीमा तय की गई है।उपायुक्त अनीश यादव का कहना है कि हिसार क्षेत्रीय अभिलेखागार इतिहास और संस्कृति को सहेजने का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। विभाग द्वारा किए जा रहे प्रयास न केवल शोधार्थियों के लिए फायदेमंद हैं बल्कि आम जनता को भी अपनी ऐतिहासिक धरोहर से जोड़ते हैं। हिसार क्षेत्रीय अभिलेखागार न केवल अतीत को सहेजता है बल्कि भविष्य की पीढिय़ों को अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत से जोडऩे का काम भी करता है। यह विभाग शोधार्थियों, इतिहासकारों और आम जनता के लिए ज्ञान का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। मार्च में प्रस्तावित ऐतिहासिक प्रदर्शनी इस दिशा में एक और मजबूत कदम साबित होगी।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर

   

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