केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने यूजीसी विनियम, 2025 का मसौदा जारी किया
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- Jan 06, 2025
नई दिल्ली, 6 जनवरी (हि.स.)। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को नई दिल्ली में यूजीसी (विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों और शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति और पदोन्नति के लिए न्यूनतम योग्यताएं और उच्च शिक्षा में मानकों के रखरखाव के लिए उपाय) विनियम, 2025 का मसौदा जारी किया। मसौदा दिशानिर्देश अब फीडबैक और सुझावों के लिए यूजीसी की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
इस मौके पर धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि ये मसौदा सुधार और दिशानिर्देश उच्च शिक्षा के हर पहलू में नवाचार, समावेशिता, लचीलापन और गतिशीलता लाएंगे, शिक्षकों और शैक्षणिक कर्मचारियों को सशक्त बनाएंगे, शैक्षणिक मानकों को मजबूत करेंगे और शैक्षिक उत्कृष्टता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करेंगे। उन्होंने एनईपी 2020 के लोकाचार के अनुरूप मसौदा विनियमन और दिशानिर्देश तैयार करने के लिए यूजीसी की टीम को उनके प्रयासों के लिए बधाई दी।
मंत्री ने बताया कि मसौदा विनियम, 2025 को फीडबैक, सुझाव और परामर्श के लिए सार्वजनिक डोमेन में रखा गया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यूजीसी जल्द ही मसौदा विनियम, 2025 को अपने अंतिम रूप में प्रकाशित करेगा, जिससे शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन आएगा और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और अनुसंधान के माध्यम से देश को विकसित भारत 2047 की ओर अग्रसर किया जा सकेगा।
प्रधान ने इस दौरान यूजीसी के नए ऑडिटोरियम ‘पुष्पगिरी’ का भी उद्घाटन किया। उन्होंने ओडिशा की अद्वितीय बौद्धिक विरासत का सम्मान करने के लिए यूजीसी की सराहना की। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि ओडिशा के जाजपुर में पुष्पगिरी किस तरह ज्ञान का उद्गम स्थल और ज्ञानोदय का प्रतीक है। उन्होंने 21वीं सदी में भारत की बौद्धिक विरासत और मूल्यों को पुनः अपनाने के लिए यूजीसी के इस सराहनीय कदम की सराहना की। इसके अलावा, उन्होंने उम्मीद जताई कि यह अत्याधुनिक ऑडिटोरियम जीवंत बौद्धिक चर्चाओं का केंद्र बनकर उभरेगा और उज्ज्वल भविष्य को आकार देगा।
इस अवसर पर शिक्षा मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव सुनील कुमार बरनवाल, यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार, संस्थानों के प्रमुख, शिक्षाविद, मंत्रालय के अधिकारी और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार