





चतरा, 16 मार्च । जिले के सिमरिया और पत्थलगडा प्रखंड के सीमाने में दो गजराजों ने जमकर उत्पात मचाया। रविवार को दोनों हाथियों को भगाने के लिए सैकड़ों ग्रामीण सीमांत जंगल में जुटे हुए हैं।
शनिवार की देर रात और रविवार की सुबह तक दोनों जंगली हाथी चतरा जिले के सिमरिया और पत्थलगडा के सीमांत गांव तपसा और सिलहटी गांव में कई किसानों को क्षति पहुंचाई। कई किसानों के खेतों में लगे फसलों को रौंद दिया। साथ ही सिलहटी निवासी बैजनाथ दांगी के मवेशी को पटक कर मार डाला और एक गाय को गंभीर रूप से घायल कर दिया। दोनों मवेशी मचान के नीचे बंधे थे।
जानकारी के अनुसार हाथियों का दल सबसे पहले तपसा गांव पहुंचा। यहां शंकर दांगी, कृष्णा पांडेय, रितिक, अभय, शिवम सहित अन्य के खेतों में लगे प्याज, गेहूं सहित अन्य फसलों को चट कर गए या रौंद दिया। दोनों हाथी सिलहटी में अरुण दांगी के खेत में लगे आलू की फसल, अजय डांगी के कतारी और केला, नारायण दांगी का पांच कट्ठा गेहूं, बासुदेव दांगी के खेत में लगे गेहूं, बैजनाथ दांगी का प्याज, अरुण दांगी का ड्रिप इरीगेशन और केदार दांगी के खेत में लगे बोरिंग को क्षतिग्रस्त कर दिया।
हाथियों के उत्पात को देखकर रविवार को सुबह ग्रामीण मशाल जलाकर और ढोल बजाते हुए हाथियों को गांव से खदेड़ कर जंगल की ओर खदेड़ दिया। दिन के उजाले में भी हाथियों को भगाने के लिए शोर के साथ पटाखा जलाया गया लेकिन हाथी घने जंगल में ही डेरा जमाये हुए हैं।
सीमांत इलाका है हाथियों का कॉरिडोर, गरमी से बेहाल हैं गजराज:
चतरा जिले के पूर्वी इलाका हाथियों का कॉरिडोर रहा है। सिमरिया, पत्थलगडा, टंडवा, केरेडारी, कटकमसांडी और सीमांत के कई गांवों में जंगल और पहाड़ में पूर्व में भी हाथियों का आना जाना लगा रहा है। आबादी बढ़ने और जंगल में अतिक्रमण से हाथी उग्र होकर कई को शिकार भी बना चुके हैं। सीमांत गांवों में पहुंचे हाथी गरमी से बेहाल हैं। आसपास पानी का स्रोत नहीं रहने से हाथी शरीर के ऊपर मिट्टी उड़ाकर ठंडक लाने का प्रयास कर रहे हैं। लोगों के हुजूम को देखकर हाथी उग्र होकर उन्हें खदेड़ भी रहे हैं। इसके बावजूद लोग इन हाथियों के आसपास जमे हुए हैं।
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