राज्यवृक्ष खेजड़ी की कटाई पर छूट देना अमृतादेवी बिश्नोई का अपमान-बाबूलाल जाजू

भीलवाड़ा, 18 फ़रवरी (हि.स.)। राजस्थान सरकार द्वारा राज्यवृक्ष खेजड़ी की कटाई पर छूट देने के फैसले की आलोचना करते हुए पीपुल फॉर एनीमल्स के प्रदेश प्रभारी एवं पर्यावरणविद् बाबूलाल जाजू ने इसे अमृतादेवी बिश्नोई और 363 बलिदानियों का अपमान बताया है।

जाजू ने कहा कि एक ओर सरकार वन एवं वन्यजीवों के संरक्षण के लिए अमृतादेवी बिश्नोई पुरस्कार प्रदान कर रही है, जबकि दूसरी ओर राज्यवृक्ष खेजड़ी को काटने की खुली छूट दी जा रही है। यह सरकार की दोहरी नीति को दर्शाता है।

खेजड़ी बचाने के लिए दिया था बलिदान

294 वर्ष पूर्व, 1730 में, अमृतादेवी बिश्नोई सहित 363 लोगों ने खेजड़ी वृक्षों की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर किए थे। यह बलिदान पर्यावरण और प्रकृति प्रेम की अद्वितीय मिसाल है। जाजू ने सरकार से सवाल किया कि यदि खेजड़ी वृक्ष को काटना ही था, तो इसे राज्यवृक्ष घोषित करने की आवश्यकता ही क्यों थी?

वनों का घटता प्रतिशत और बढ़ता तापमान

बाबूलाल जाजू ने कहा कि राजस्थान में वन क्षेत्र लगातार घट रहा है, जिससे तापमान में वृद्धि हो रही है। 1950 में राजस्थान का वन क्षेत्र 13.5 प्रतिशत था, जो अब घटकर मात्र 9 प्रतिशत रह गया है। प्रदेश की जनसंख्या 1.5 करोड़ से बढ़कर 7.5 करोड़ हो गई है, जबकि वनों की सघनता 0.8 से घटकर 0.2 रह गई है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने समय रहते उचित कदम नहीं उठाए, तो आने वाले वर्षों में राजस्थान का पर्यावरणीय संतुलन पूरी तरह बिगड़ सकता है।

बिश्नोई समाज का आंदोलन जारी

बिश्नोई समाज के प्रमुख लोग पिछले 6 महीनों से खेजड़ी वृक्ष की रक्षा के लिए आंदोलनरत हैं। इसके बावजूद सरकार द्वारा इस पेड़ की कटाई पर कोई रोक नहीं लगाना निंदनीय है।

सरकार से मांग- खेजड़ी कटाई पर लगे प्रतिबंध

पर्यावरणविद् जाजू ने मुख्यमंत्री और वन मंत्री से तत्काल खेजड़ी वृक्षों की कटाई पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की। उन्होंने कहा कि अगर सरकार वन संरक्षण को लेकर गंभीर नहीं हुई, तो राजस्थान का जलवायु संतुलन और अधिक बिगड़ सकता है। जाजू ने प्रदेशवासियों से वन बचाओ, राजस्थान बचाओ अभियान में जुड़ने की अपील की और सभी पर्यावरण प्रेमियों से खेजड़ी वृक्षों को बचाने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया।

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हिन्दुस्थान समाचार / मूलचंद

   

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