माइनिंग सेक्टर से 45 हजार करोड़ के निवेश एमओयू हस्ताक्षरित, 50 हजार से अधिक के प्रस्तावित

-राइजिंग राजस्थान इंवेस्टमेंट समिट लिखेगा औद्योगिक निवेश, रोजगार सृजन, राजस्व और समग्र विकास की नई इबारत : टी. रविकान्त

जयपुर, 18 अक्टूबर (हि.स.)। माइंस एवं पेट्रोलियम विभाग के प्रमुख शासन सचिव टी. रविकान्त ने कहा है कि राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इंवेस्टमेंट समिट प्रदेश में औद्योगिक निवेश, रोजगार सृजन, आर्थिक-सामाजिक विकास, राजस्व की दृष्टि से नई इबारत लिखने जा रहा है। राजस्थान का माइनिंग सेक्टर देश-प्रदेश के आर्थिक विकास का प्रमुख सेक्टर होने से हमें आठ नवंबर को जयपुर में आयोजित प्री समिट और दिसंबर में आयोजित इंवेस्टमेंट समिट में अधिक से अधिक निवेश प्रस्ताव लेकर आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के माइनिंग सेक्टर से रोड शो आदि में 45 हजार करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्तावों पर एमओयू हस्ताक्षरित हो चुके हैं वहीं आठ नवंबर को जयपुर में आयोजित प्री समिट में माइनिंग सेक्टर में 50 हजार करोड़ से अधिक के निवेश के एमओयू हस्ताक्षरित होंगे।

प्रमुख सचिव माइंस टी. रविकान्त शुक्रवार को उदयपुर में उदयपुर मार्बल प्रोसेसिंग समिति भवन में माइनिंग सेक्टर के स्टेक होल्डर्स और माइनिंग एसोसिएशन के प्रतिनिधियों से सीधे संवाद कायम कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उदयपुर खनिज की दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्र है। हमें माइनिंग सेक्टर में एक्सप्लोरेशन, माइनिंग, माइनिंग प्रोसेसिंग यूनिट या इसी तरह के अन्य उद्योगों में निवेश के लिए आगे आना चाहिए। राज्य सरकार माइनिंग सेक्टर से जुड़े प्रतिभागियों के व्यावहारिक सुझावों का समावेश करते हुए जल्द ही नई माइनिंग नीति लाने जा रही है वहीं व्यवस्था को पारदर्शी और सरलीकरण की दिशा में कदम बढ़ा रही है। उन्होंने कहा कि आज मेजर मिनरल के ऑक्शन में राजस्थान अग्रणी प्रदेश बन गया है। हमारी धरा में बेशकीमती खनिज संपदा है अब हमें उसके वैज्ञानिक तरीके से खनन करना है।

टी. रविकान्त ने कहा कि हमें खनिज सेक्टर में राजस्थान को शीर्ष पर लाना है। रोजगार और राजस्व को बढ़ाना है वहीं देश दुनिया के नक्शें में राजस्थान की विशिष्ट पहचान बनानी है। उन्होंने चर्चा के दौरान प्राप्त सकारात्मक सुझावों की सराहना करते हुए कहा कि गुणावगुण के आधार पर इन्हें लागू करने का प्रयास किया जाएगा। निदेशक खान एवं भूविज्ञान भगवती प्रसाद कलाल ने कहा कि विभाग द्वारा स्टेक होल्डर्स से सीधा संवाद करने की सकारात्मक पहल की गई है। पहले जयपुर में, उसके बाद कोटा में और अब उदयपुर में स्टेक होल्डर्स से सीधा संवाद कायम किया गया है। उन्होंने कहा कि इससे एक दूसरे की समस्याओं को समझने का अवसर मिलता है वहीं कार्य में आ रही बाधाओं को दूर करने का अवसर मिलता है।

डीएमजी कलाल ने बताया कि राजस्थान माइनिंग सेक्टर में देश के नक्शे में तेजी से आगे बढ रहा है। कई खनिजों मे तो हमें समूचे देश में सबसे आगे हैं। अब नई खनिज नीति आने से इस सेक्टर का और अधिक तेजी से विकास होगा। माइनिंग एसोसिएशनों के प्रतिनिधियों और स्टेक होल्डर्स ने एक स्वर में सरकार की पहल की सराहना की वहीं क्लीयरेंस में तेजी लाने के लिए सिंगल विण्डों सिस्टम विकसित करने, ईज ऑफ डूइंग, टीपी, आरसीसी-ईआरसीसी व्यवस्था समाप्त करने, रवन्ना व रॉयल्टी दरों के पुनरीक्षण करने, एमसेंड पर रॉयल्टी दर बजरी रॉयल्टी से कम करने, एक्सप्लोरेशन में निजी क्षेत्र की भागीदारी भी तय करने सहित महत्वपूर्ण सुझाव दिए।

इस अवसर पर राजसमंद से मार्बल माइंस एसोसिएशन के अध्यक्ष, मिनरल माइंस वेलफेयर संस्था के अध्यक्ष, राजसमंद फैडरेशन, अल्ट्राटेक सीमेंट, उदयपुर सीमेंट, अप्रधान खनिज खनन संघ, खनिज पर्यावरण सुधार समिति भीलवाड़ा, उपरमाल पत्थर खनन व्यवसाय संघ, मेसेनरी स्टोन माइंस एसोसिएशन, ग्रीन मार्बल माइंस एसोसिएशन, मार्बल प्रोसेसर एसोसिएशन, सोप सटोन खनन पट्टाधारी ने महत्वपूर्ण सुझाव दिए। इनके अतिरिक्त विभाग के अन्य उच्चाधिकारी भी मौजूद रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित

   

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