राज्य की जमीन नीति में बदलाव की तैयारी, बड़े उद्योगों को बढ़ावा देने की योजना

कोलकाता, 19 मार्च (हि. स.)। पश्चिम बंगाल में बड़े उद्योगों के विस्तार के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राज्य की जमीन नीति में बदलाव करने की तैयारी कर रही हैं। बुधवार को विधानसभा में उन्होंने इस संबंध में अपनी योजना साझा की और एक पुरानी जमीन अधिग्रहण नीति को वापस लेने की घोषणा की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार नई आर्थिक जरूरतों के अनुसार जमीन नीति में बदलाव करेगी, जिससे औद्योगिक परियोजनाओं को तेजी से अमल में लाया जा सके। उन्होंने बताया कि इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य बड़े उद्योगों को आकर्षित करना और राज्य की आर्थिक संरचना को और मजबूत करना है।

विधानसभा में स्वास्थ्य बजट पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि 1957 में सरकार ने जो जमीन अधिग्रहण किया था, उसकी भरपाई आज भी करनी पड़ रही है। वाम मोर्चा सरकार के दौरान भारी मात्रा में जमीन अधिग्रहण हुआ, जिसका भुगतान अब तक करना पड़ रहा है, जिससे राज्य के खजाने पर बोझ बढ़ा है।

उन्होंने कहा कि अब राज्य में बड़े उद्योग आ रहे हैं और कई नई परियोजनाएं शुरू की जा रही हैं, जिनमें ‘लक्ष्मी भंडार’ जैसी योजनाएं और आईटी सेक्टर का विस्तार शामिल है। ऐसे में नई नीति की आवश्यकता महसूस की जा रही है।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि राज्य सरकार पुरानी नीति को रद्द कर उसे राज्यपाल के पास भेजेगी। उन्होंने राज्यपाल से अपील की कि यदि वह इसे एक महीने के भीतर मंजूरी दे देते हैं, तो सरकार नई जमीन नीति लागू कर देगी। उन्होंने बताया कि इस नीति को तैयार करने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित की गई है, जिसमें मुख्य सचिव समेत अन्य विशेषज्ञ और हितधारक शामिल हैं।

इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार पर भी निशाना साधते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में मौजूद कोयला खदानें केंद्र सरकार के अधीन हैं, लेकिन केंद्र ने अभी तक इनके उपयोग को लेकर कोई स्पष्ट नीति नहीं बनाई है।

गौरतलब है कि हाल ही में बीरभूम के देउचा-पचामी क्षेत्र में कोयला खनन परियोजना शुरू करने के लिए राज्य सरकार ने आसपास की जमीन का अधिग्रहण किया था। इस दौरान स्थानीय लोगों में असंतोष भी था, लेकिन सरकार द्वारा उचित मुआवजा, पुनर्वास और नौकरी दिए जाने के बाद मामला सुलझ गया और परियोजना सुचारू रूप से आगे बढ़ रही है।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर

   

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