नटरंग के हास्य नाटक सरकारी अफसर ने नौकरशाही की बुराइयों पर प्रकाश डाला
- Admin Admin
- Jan 19, 2025
जम्मू, 19 जनवरी (हि.स.)। नटरंग ने जम्मू के कच्ची छावनी स्थित स्टूडियो थिएटर में अपनी साप्ताहिक नाट्य श्रृंखला, संडे थिएटर के अंतर्गत एक विचारोत्तेजक और व्यंग्यपूर्ण नाटक सरकारी अफसर प्रस्तुत किया। लक्ष्मीकांत वैष्णव द्वारा लिखित और नीरज कांत द्वारा निर्देशित इस हिंदी नाटक में एक सरकारी कार्यालय की रोजमर्रा की अव्यवस्थाओं को चतुराई से दर्शाया गया है जिसमें नौकरशाही की बुराइयों को तीखे हास्य के साथ उजागर किया गया है।
नाटक की शुरुआत एक आम सरकारी कार्यालय के जीवंत दृश्य से होती है जहाँ कर्मचारी अपने निजी एजेंडे में लिप्त, अपनी नौकरी में सुरक्षित और नियमों के प्रति उदासीन दिखाई देते हैं। लालफीताशाही और भ्रष्टाचार से लेकर भाई-भतीजावाद और अनुपस्थिति तक नाटक ने हास्यपूर्ण ढंग से ऐसी कई संस्थाओं में व्याप्त खामियों को उजागर किया। एक खास किरदार चपरासी का है जो अपने स्थायी पद के कारण अपनी अछूत स्थिति का फायदा उठाता है और अपने ऑफिस के रहस्यों के ज्ञान का इस्तेमाल अपने सहकर्मियों और बॉस को प्रभावित करने के लिए करता है।
एकमात्र किरदार जो सम्मान पाता है वह एक मंत्री का रिश्तेदार है जो अपने संबंधों के कारण परिणामों से मुक्त है। इस बीच विभागाध्यक्ष अपनी जिम्मेदारियों से बचता है और ऑफिस के कामों की तुलना में निजी सुखों को प्राथमिकता देता है। जब एक सतर्कता अधिकारी द्वारा अचानक छापा मारने से जवाबदेही की ओर बदलाव का वादा किया जाता है तो नाटक एक मोड़ लेता है - छापा एक सपना बनकर रह जाता है जिससे भ्रष्टाचार और अक्षमता की यथास्थिति बरकरार रहती है।
प्रतिभाशाली युवा कलाकारों में मिहिर गुजराल, आर्यन शर्मा, कार्तिक कुमार, अदक्ष बागल और ललिता शर्मा शामिल थे जिन्होंने किरदारों को बहुत ही शानदार तरीके से जीवंत किया। सरकारी अफसर ने न केवल मनोरंजन किया बल्कि सरकारी कार्यालयों में व्याप्त समस्याओं की तीखी आलोचना भी की, जिससे नौकरशाही की वास्तविक कार्यप्रणाली में रुचि रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए यह फिल्म हास्य से भरपूर है।
हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा