विरासत, विज्ञान, आस्था और आध्यात्मिकता पर आधारित हैं भारत-इंडोनेशिया के संबंध: प्रधानमंत्री 

प्रधानमंत्री ने जकार्ता के श्रीसनातन धर्म आलयम के महाकुंभाभिषेकम काे वर्चुअली किया संबाेधित

नई दिल्ली, 2 फ़रवरी (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत और इंडोनेशिया के बीच संबंध केवल भू-राजनीतिक नहीं हैं, बल्कि हजारों वर्षों की साझा संस्कृति और इतिहास में निहित हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों के बीच संबंध विरासत, विज्ञान, आस्था, साझा मान्यताओं और आध्यात्मिकता पर आधारित हैं। इस संबंध में भगवान मुरुगन, भगवान राम और भगवान बुद्ध शामिल हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार काे अपने यह विचार एक संदेश वीडियो संदेश के माध्यम से इंडोनेशिया के जकार्ता में श्रीसनातन धर्म आलयम के महाकुंभाभिषेकम काे संबाेधित करते समय व्यक्त किए। उन्होंने इस शुभ अवसर का हिस्सा बने राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो, मुरुगन मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष पा हाशिम, प्रबंध न्यासी डॉ. कोबालन, तमिलनाडु और इंडोनेशिया के गणमान्य व्यक्तियों, पुजारियों और आचार्यों, प्रवासी भारतीयों, इंडोनेशिया और अन्य देशों के सभी नागरिकों और इस दिव्य व भव्य मंदिर को वास्तविकता में बदलने वाले सभी प्रतिभाशाली कलाकारों को हार्दिक बधाई दी।

मोदी ने कहा, सांस्कृतिक मूल्य, विरासत और विरासत भारत और इंडोनेशिया के बीच लोगों के बीच संबंधों को बढ़ा रहे हैं।”

समारोह का हिस्सा बनने के लिए अपने सौभाग्य को व्यक्त करते हुए मोदी ने कहा कि हालांकि वे जकार्ता से दूर हैं, लेकिन वे भावनात्मक रूप से इस कार्यक्रम के करीब महसूस करते हैं। यह भारत-इंडोनेशिया के मजबूत संबंधों को दर्शाता है। उन्होंने जकार्ता मंदिर के महाकुंभाभिषेकम के अवसर पर इंडोनेशिया और दुनियाभर में भगवान मुरुगन के सभी भक्तों को बधाई दी। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि कि भारत और इंडोनेशिया के बीच संबंध कई मजबूत धागों से बुने हुए हैं। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति प्रबोवो की हाल की भारत यात्रा के दौरान उन्होंने इस साझा विरासत के कई पहलुओं को संजोया। यह देखते हुए कि जकार्ता में मुरुगन मंदिर में न केवल भगवान मुरुगन बल्कि कई अन्य देवी-देवता भी विराजमान हैं। मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि यह विविधता और बहुलता हमारी संस्कृति की नींव है।

उन्होंने कहा कि इंडोनेशिया में विविधता की इस परंपरा को भिन्निका तुंगगल इका कहा जाता है, जबकि भारत में इसे विविधता में एकता के रूप में जाना जाता है।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि विविधता की यह स्वीकार्यता ही वह कारण है जिसके कारण इंडोनेशिया और भारत दोनों में विभिन्न धर्मों के लोग इतने सद्भाव के साथ रहते हैं। उन्होंने कहा कि यह शुभ दिन हमें विविधता में एकता को अपनाने के लिए प्रेरित करता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / अनूप शर्मा

   

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