मेरी जोखिम लेने की क्षमता का अभी पूरी तरह उपयोग हुआ ही नहीं : प्रधानमंत्री मोदी

नई दिल्ली, 10 जनवरी (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि वह कोई वीआईपी नहीं बल्कि एक आम आदमी हैं। उन्हाेंने कहा कि वह कभी कम्फर्ट जोन में नहीं रहे और उनकी जोखिम लेने की क्षमता का अभी तक पूरी तरह से उपयोग नहीं हुआ है।

प्रधानमंत्री मोदी ने जीरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामथ के साथ एक पॉडकास्ट में अपने बचपन, मित्रों, घर छोड़कर जाने, युवाओं के लिए दृष्टिकोण, गुजरात के मुख्यमंत्री और फिर प्रधानमंत्री के तौर पर तीसरे कार्यकाल के लक्ष्यों सहित कई विषयों पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने वैश्विक पटल पर भारत के प्रमुख शक्ति रूप में उभरने का जिक्र करते हुए कहा कि 2005 में जब वह एक विधायक थे, तब अमेरिका ने उनका वीजा रद्द कर दिया था। आज दुनिया भारत के वीजा के लिए कतार में खड़ी है। यह प्रधानमंत्री मोदी का पहला पॉडकास्ट था।

प्रधानमंत्री ने विचारधारा से ज़्यादा आदर्शवाद की अहमियत पर बात करते हुए कहा कि महात्मा गांधी और वीर सावरकर के रास्ते अलग-अलग थे, लेकिन उनकी विचारधारा 'स्वतंत्रता' थी। उन्हाेंने कहा कि सार्वजनिक जीवन में अच्छा वक्ता होने से ज्यादा महत्व अच्छे से संवाद करना होता है। महात्मा गांधी लाठी लेकर चलते थे लेकिन बात अहिंसा की करते थे। यह उनके संवाद की ताकत थी। उन्होंने कभी टोपी नहीं पहनी लेकिन उनके आसपास लोग टोपी पहनते थे। उनका क्षेत्र राजनीति था लेकिन उन्होंने कभी राजसत्ता नहीं संभाली, कभी चुनाव नहीं लड़ा। लेकिन उनकी समाधि राजघाट पर बनाई गई है।

उन्हाेंने कहा, मैं ऐसा व्यक्ति नहीं हूं जो अपनी सुविधा के अनुसार अपना रुख बदल ले। मैं केवल एक ही विचारधारा में विश्वास करते हुए बड़ा हुआ हूं। उन्होंने कहा, अगर मुझे अपनी विचारधारा को कुछ शब्दों में बताना हो तो मैं कहूंगा, 'राष्ट्र पहले'। 'राष्ट्र पहले' टैगलाइन में जो भी चीज फिट बैठती है, वह मुझे विचारधारा और परंपरा की बेड़ियों में नहीं बांधती। इसने हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। मैं पुरानी चीजों को छोड़कर नई चीजों को अपनाने के लिए तैयार हूं। हालांकि, शर्त हमेशा 'राष्ट्र पहले' की है।

प्रधानमंत्री ने 2002 के गोधरा कांड को याद करते हुए कहा कि 24 फरवरी 2002 को वह पहली बार विधायक बने और 27 फरवरी को विधानसभा गए। उन्होंने कहा कि जब गोधरा में ऐसी घटना हुई, तब वह तीन दिन पुराने विधायक थे। मोदी ने कहा, “हमें सबसे पहले ट्रेन में आग लगने की खबर मिली, फिर धीरे-धीरे हमें हताहतों की खबरें मिलने लगीं। मैं सदन में था और मैं चिंतित था। जैसे ही मैं बाहर आया, मैंने कहा कि मैं गोधरा जाना चाहता हूं। वहां केवल एक ही हेलीकॉप्टर था। मुझे लगता है कि यह ओएनजीसी का था, लेकिन उन्होंने कहा कि चूंकि यह सिंगल इंजन है, इसलिए वे इसमें किसी वीआईपी को अनुमति नहीं दे सकते। हमारे बीच बहस हुई और मैंने कहा कि जो कुछ भी होगा, उसके लिए मैं जिम्मेदार रहूंगा। मैं गोधरा पहुंचा और मैंने वह दर्दनाक दृश्य, वे शव देखे। मैंने सब कुछ महसूस किया, लेकिन मुझे पता था कि मैं ऐसी स्थिति में बैठा हूं जहां मुझे अपनी भावनाओं और स्वाभाविक प्रवृत्ति से बाहर रहना होगा। मैंने खुद को नियंत्रित करने के लिए जो कुछ भी कर सकता था, किया।”

यह पूछे जाने पर कि क्या समय के साथ उनकी जोखिम लेने की क्षमता बढ़ी है, इस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी जोखिम उठाने की क्षमता का अभी पूरी तरह उपयोग हुआ ही नहीं है। मैंने अपने विषय में कभी सोचा ही नहीं है और जो अपने बारे में नहीं सोचता, उसके पास जोखिम उठाने की क्षमता बेहिसाब होती है। उन्हाेंने देशवासियों विशेषकर युवाओं को सफलता का मंत्र देते हुए कहा कि वह कभी भी कम्फर्ट जोन में नहीं रहे। उन्होंने कहा, मैंने जिस तरह का जीवन जिया है, उसमें छोटी-छोटी चीजें भी मुझे संतुष्टि देती हैं।

माेदी ने कहा कि लोग जब कम्फर्ट जोन के आदी हो जाते हैं तो जीवन में असफल होते हैं। उन्हाेंने कहा, “यह मेरा सौभाग्य है कि मैंने जीवन को कम्फर्ट जोन में नहीं बिताया है, कभी वहां नहीं रहा चूंकि मैं कम्फर्ट जोन से बाहर था, इसलिए मुझे पता था कि मुझे क्या करना है। शायद मैं कम्फर्ट के लिए अयोग्य हूं।”

गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल को याद करते हुए मोदी ने कहा, जब मैं सीएम बना, तो मैंने तीन प्रतिबद्धताएं साझा कीं- मैं अपने प्रयासों में कोई कसर नहीं छोड़ूंगा, मैं अपने लिए कुछ नहीं करूंगा और मैं इंसान हूं-मैं गलतियां कर सकता हूं, लेकिन मैं बुरे इरादे से गलतियां नहीं करूंगा। उन्होंने कहा कि ये सिद्धांत उनके जीवन का मंत्र बन गए। उन्होंने कहा, “मैं भी मनुष्य हूं देवता थोड़ा हूं।”

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब अमेरिकी सरकार ने उन्हे वीजा देने से इनकार किया था, तब वे विधायक थे। एक व्यक्ति के तौर पर, अमेरिका जाना कोई बड़ी बात नहीं थी, मैं पहले भी गया था; लेकिन मुझे एक चुनी हुई सरकार और देश का अपमान महसूस हुआ और मेरे मन में कसक थी कि क्या हो रहा है। उस दिन मैंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जहां मैंने कहा कि अमेरिकी सरकार ने मेरा वीजा रद्द किया है। मैंने यह भी कहा था कि मैं एक ऐसा भारत देख रहा हूं, जहां दुनिया वीजा के लिए कतार में खड़ी होगी, यह मेरा 2005 का बयान है और आज हम 2025 में खड़े हैं। इसलिए, मैं देख सकता हूं कि अब समय भारत का है।

मोदी ने 2014 में प्रधानमंत्री के रूप में अपने शुरुआती दिनों के बारे में एक दिलचस्प किस्सा साझा करते हुए बताया कि दुनिया के नेताओं ने उन्हें पदभार ग्रहण करने पर बधाई देने के लिए शिष्टाचार भेंट की थी। इस दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी थे। अपनी बातचीत के दौरान शी ने भारत और विशेष रूप से गुजरात की यात्रा करने की इच्छा व्यक्त की। प्रधानमंत्री ने बताया कि गुजरात में शी की दिलचस्पी चीन में उनके अपने गांव से ऐतिहासिक जुड़ाव की वजह से थी। शी ने मोदी को बताया कि प्रसिद्ध चीनी दार्शनिक और यात्री ह्वेनसांग जो भारत भर में अपनी व्यापक यात्राओं के लिए जाने जाते हैं, उन्हाेंने अपनी यात्रा का सबसे लंबा हिस्सा मोदी के जन्मस्थान वडनगर में बिताया था। चीन लौटने पर, ह्वेनसांग शी के गांव में बस गए, जिससे दोनों नेताओं के गृहनगरों के बीच एक अनूठा संबंध बन गया।

युवाओं को राजनेता बनने के लिए योग्यता के प्रश्न पर प्रधानमंत्री ने कहा कि राजनीति में निरंतर अच्छे लोग आते रहने चाहिए। युवाओं को राजनीति में महत्वाकांक्षा नहीं, बल्कि मिशन लेकर आना चाहिए। उन्हाेंने कहा कि राजनेता बनना एक बात है और राजनीति में सफल होना एक अलग बात है। मेरा मानना है कि इसके लिए आपको समर्पण, प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है, आपको लोगों के लिए मौजूद रहना चाहिए और आपको एक अच्छा टीम प्लेयर होना चाहिए। अगर आप खुद को सबसे ऊपर मानते हैं और सोचते हैं कि हर कोई आपका अनुसरण करेगा, तो हो सकता है कि उसकी राजनीति काम करे और वह चुनाव जीत जाए, लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि वह एक सफल राजनेता होगा। उन्होंने कहा कि अगर आप देखें, तो शुरुआत में हमारे सभी दिग्गज नेता स्वतंत्रता आंदोलन से निकले थे। उनकी विचार प्रक्रिया, उनकी परिपक्वता अलग है। उनके शब्द, उनका व्यवहार हर चीज समाज के प्रति अत्यधिक समर्पण को दर्शाती है। इसलिए, मेरा मानना है कि अच्छे लोगों को राजनीति में आते रहना चाहिए और वह भी एक मिशन के साथ, महत्वाकांक्षा के साथ नहीं।

कामथ ने सवाल किया कि ऐसा लग रहा है कि सारी दुनिया युद्ध की तरफ जा रही है। क्या इसको लेकर हमें ठहरना चाहिए। इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस संकट के समय हमने लगातार कहा है कि हम तटस्थ नहीं हैं। उन्होंने कहा, “मैं शांति के पक्ष में हूं।” प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया हम पर भरोसा करती है, क्योंकि हममें कोई दोहरापन नहीं है, हम जो भी कहते हैं, साफ-साफ कहते हैं। संकट के इस दौर में भी हमने बार-बार कहा है कि हम तटस्थ नहीं हैं। मैं शांति के पक्ष में हूं और इसके लिए जो भी प्रयास किए जाएंगे, मैं उनका समर्थन करूंगा। मैं यह बात रूस, यूक्रेन, ईरान, फिलिस्तीन और इजरायल से कहता हूं। उन्हें मुझ पर भरोसा है कि मैं जो कह रहा हूं, वह सही है।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार

   

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