श्रीलंका की जेलों में कैद भारतीय मछुआरों की समस्या हमारी सरकार को विरासत में मिलीः विदेश मंत्री

नई दिल्ली, 27 मार्च (हि.स.)। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने आज राज्यसभा में कहा कि श्रीलंका की जेलों में कैद भारतीय मछुआरों की जो स्थिति है, वह 1974 और 1976 की घटनाओं के कारण मौजूदा भारत सरकार को विरासत में मिली है।

डॉ. जयशंकर राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान श्रीलंका की जेलों में कैद भारतीय मछुआरे के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब दे रहे थे। श्रीलंका के कानून के बारे में विदेश मंत्री ने बताया कि वहां इस मामले में दो कानून हैं, मत्स्य पालन और जलीय संसाधन अधिनियम 1996 और विदेशी मछली पकड़ने वाली नौकाओं का मत्स्य पालन विनियमन 1979, जिन्हें 2018 और 2023 में संशोधित कर ज्यादा कठोर सजा, जुर्माना और हिरासत का प्रावधान किया गया था। सजा काट रहे कई लोग नाव के मालिक, कैप्टन या बार-बार अपराध करने वाले हैं, जिसके कारण यह समस्या जटिल हो जाती है।

डीएमके सदस्य तिरुचि शिवा के सवाल के जवाब में डॉ. जयशंकर ने कहा कि सदन को मालूम है कि एक तरह से हमारी सरकार को यह समस्या विरासत में मिली है। यह समस्या 1974 में शुरू हुई, जब अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा खींची गई। उसके बाद 1976 में मछली पकड़ने के अधिकार क्षेत्र को परिभाषित करने के लिए पत्रों का आदान-प्रदान हुआ। ये निर्णय इस स्थिति का मूल कारण हैं।

विदेश मंत्री ने श्रीलंका में कैद मछुआरों के मुद्दे को क्षेत्रीय संदर्भ के साथ रेखांकित करते हुए कहा कि जाहिर तौर पर क्षेत्रीय निकटता के कारण इनमें अधिकांश मछुआरे तमिलनाडु और पुद्दुचेरी से होंगे। श्रीलंका में कैद भारतीय मछुआरों की अद्यतन संख्या के बारे में उन्होंने बताया कि कल तक श्रीलंका की हिरासत में 86 भारतीय मछुआरे थे। आज एक और ट्रॉलर पकड़ा गया है, जिस पर 11 और मछुआरे मिले, जो अब श्रीलंका की हिरासत में हैं। इस तरह कुल 97 मछुआरे श्रीलंका की हिरासत में हैं। इस तरह कुल 83 मछुआरे सजा काट रहे हैं, तीन मछुआरे मुकदमे का इंतजार कर रहे हैं और 11 मछुआरे आज पकड़े गए हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / दधिबल यादव

   

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