निर्भया फंड का लगभग 76 प्रतिशत किया गया खर्चः सावित्री ठाकुर
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- Mar 12, 2025

नई दिल्ली, 12 मार्च (हि.स.)। सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने के लिए निर्भया फंड के तहत लगभग 76 प्रतिशत फंड खर्च किया है। बुधवार को यह जानकारी राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर ने दी।
उन्होंने सदन को बताया कि महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए देशभर में 14,658 से अधिक महिला हेल्प डेस्क स्थापित किए गए हैं।
33 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में साइबर फोरेंसिक सह प्रशिक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित की गईं, 24,264 व्यक्तियों को साइबर संबंधी अपराधों से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।
सावित्री ठाकुर ने बताया कि निर्भया फंड के तहत, वित्तीय वर्ष 2024-25 तक, कुल 7712.85 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। मंत्रालयों एवं विभागों ने जारी की और निर्भया फंड से उपयोग की गई कुल राशि 5846.08 करोड़ रुपये है, जो कुल आवंटन का लगभग 76 प्रतिशत है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि जघन्य यौन अपराधों की पीड़ित महिलाओं और युवा लड़कियों को न्याय मिले, सरकार 2019 से राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (एफटीएससी) स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है।
अब तक 790 फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (एफटीएससी) को दी गई मंजूरी सरकार ने बताया कि अब तक 790 फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (एफटीएससी) को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 404 विशिष्ट पोक्सो (ई-पोक्सो) अदालतों सहित 745 अदालतें 30 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में कार्यरत हैं, जिन्होंने देश भर में दुष्कर्म और पोक्सो अधिनियम के तहत अपराधों के 3,06,000 से अधिक मामलों का निपटारा किया है। निर्भया फंड के तहत राज्य मुआवजा योजनाओं का समर्थन और अनुपूरण करने के लिए, केंद्रीय पीड़ित मुआवजा कोष (सीवीसीएफ) के तहत राज्य सरकारों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को एकमुश्त अनुदान के रूप में 200 करोड़ रुपये जारी किए गए ताकि विभिन्न अपराधों विशेषकर बलात्कार, एसिड हमलों, बच्चों के खिलाफ अपराध, मानव तस्करी आदि सहित यौन अपराधों के पीड़ितों को मुआवजा दिया जा सके।
उन्होंने बताया कि सार्वजनिक स्थानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जहां महिलाएं काम करती हैं और रहती हैं, सुरक्षित शहर परियोजनाओं के तहत उप-परियोजनाएं 8 शहरों (अर्थात अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता, लखनऊ और मुंबई) में कार्यान्वित की गई हैं। महिलाओं के लिए सुरक्षित परिवहन सुनिश्चित करने के लिए, रेल और सड़क परिवहन परियोजनाएं जैसे एकीकृत आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रबंधन प्रणाली (आईईआरएमएस), कोंकण रेलवे में वीडियो निगरानी प्रणाली, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित चेहरे की पहचान प्रणाली (एफआरएस) को वीडियो निगरानी प्रणाली के साथ एकीकृत किया गया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी