सिख समुदाय के कई नेताओं को मिल चुकी है धार्मिक सजा

दोषी करार दिए गए छह नेताओं की हो चुकी है मौत

चंडीगढ़, 02 दिसंबर (हि.स.)। सिख इतिहास में सुखबीर बादल पहले ऐसे नेता नहीं है जिन्हें धार्मिक सजा सुनाई गई हो। इससे पहले कई नेताओं को धार्मिक सजा सुनाई जा चुकी है।

श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार रघबीर सिंह की मौजूदगी में साेमवार काे सुनाई गई इस सजा की सिख धर्म और खासकर पंजाब के राजनैतिक इतिहास में एक खास अहमियत रही है। इस खास अहमियत के चलते इस सूबे के महाराजा और मुख्यमंत्रियों से लेकर राष्ट्रपति तक को अपना सिर अकाल तख्त के सामने झुकाना पड़ा है। पंजाब में सिखों का साम्राज्य कायम करने वाले महाराजा रणजीत सिंह की पीठ पर तत्कालीन जत्थेदार ने कोड़े बरसवाए थे। ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद दरबार साहिब आए राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह को भी तनखाहिया करार दिया गया था। पूर्व गृहमंत्री बूटा सिंह को जब तनखाहिया करार दिया गया तो उनकी मां के निधन पर कोई भी ग्रंथी पाठ करने के लिए नहीं गया था।

पूर्व मुख्यमंत्री सुरजीत सिंह बरनाला की धार्मिक सजा आजतक चर्चा का विषय है। बरनाला को गले में 'मैं पापी हूं' की तख्ती पहनकर संगत के जूते साफ करने की सजा मिली थी। अकाली नेता बिक्रमजीत सिंह मजीठिया, सुच्चा सिंह लंगाह को भी तनखाहिया घोषित किया जा चुका है।

अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह के आदेशानुसार शिरोमणि अकाली दल की सरकार में मंत्री रहे 23 लोगों को सोमवार को अकाल तख्त पर पेश होना था। इसमें से पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, सेवा सिंह सेंखवा, तोता सिंह, अजीत सिंह कोहाड़, रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा, कैप्टन कंवलजीत सिंह की मौत हो चुकी हैं। सुच्चा सिंह लंगाह को सिख पंथ से निष्कासित किया जा चुका है।

हिन्दुस्थान समाचार / संजीव शर्मा

   

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