सनातन संस्कृति एवं प्रकृति के साथ जुड़ कर मनाएं जन्मदिवस : डॉ. अभिषेक

बनी।
आज सनातन संस्कृति एवं प्रकृति में हो रहे विकृति को ध्यान करते हुए श्री श्री 1008 श्री मौनी बाबा चैरिटेबल ट्रस्ट न्यास के मुख्य न्यासी एवं संस्कृत भाषा प्राच्यविद्या अध्ययन केन्द्र जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली के अध्येता वृत्ति प्राप्त शोधार्थी डॉ. अभिषेक कुमार उपाध्याय जो विगत वर्षों से सनातन ज्ञान परम्परा का मूल संस्कृत एवं संस्कार को संरक्षण करने की दृष्टि जो प्रयास किया जा रहा है उसी क्रम में अपने अवतरण दिवस के दिन पतित पावनी गंगा मैया के पवित्र जल में स्नान करके गंगा तट पर ही हवन पूजन एवं ब्राह्मणों को दान दक्षिणा देकर, काशी के विशिष्ट गुरुजनों से आशीर्वाद प्राप्त करते हुए भूत भावन बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ जी के मन्दिर में महन्त श्री इंद्र भूषण जी महाराज, बंटी गुरु जी के सानिध्य में अभिषेक, पूजन एवं आरती करके भव्य रूप से जन्मोत्सव को भाई बंधू एवं इष्ट मित्रों के साथ धूम धाम से मनाया। इस अवसर पर प्रकृति संरक्षण को ध्यान करते हुए तुलसी एवं अन्य पौधे भी लगाए गए। डॉ. उपाध्याय वर्तमान समय में समाज के युवा पीढ़ी को सनातन संस्कृति और संस्कार के साथ जोडक़र चलने के लिए प्रेरित कर रहे है। इस विषय पर प्रकाश डालते हुए डॉ. अभिषेक कुमार उपाध्याय ने कहा कि हमें अपने जीवन के सभी प्रेरक प्रसंगो को समाज के साथ मिलकर एवं अन्यान्य जागरूकता पूर्वक गतिविधियों के साथ जोडक़र मनाने एवं करने की आज महती आवश्यकता है। इसी दिशा में श्री श्री 1008 श्री मौनी बाबा चैरिटेबल ट्रस्ट न्यास, जम्मू कश्मीर में संस्कृत भाषा को गेहे गेहे संस्कृतम् एवं स्वास्थ्य को सर्वे भवन्तु सुखिन इस ध्येय वाक्य के साथ कार्य कर रहा है। न्यास द्वारा अपनी सनातन संस्कृति के स्वाभाविक आनन्द के साथ जीने के क्रम में जीवन के कुछ पहुलों को प्रकाश में लाकर क्रियान्वयन की दिशा में भी निरन्तर प्रयास किया जा रहा है। अपने जन्म दिवस, विवाह की वर्षगांठ, पूर्वजों की विशिष्ट तिथि एवं अन्यान्य शुभ कार्यों के साथ ही अपने पूर्वजों के पुण्यतिथि एवं श्राद्ध आदि कर्मो को वैदिक विधि व स्थानीय रीति रिवाज को एक साथ मिलाकर करने का पहल भी शुरू किया गया हैं। आज समाज भौतिकवादी जीवन जीते हुए केक और मोमबत्ती बुझा रहा है जिससे यह भौतिकवादी समाज गर्त की हो अग्रसर हो रहा है। आज आवश्यकता है जागरूकता के साथ समाज को सही दिशा निर्देश की। इस अवसर पर विशेष अनुष्ठान, पूजन एवं अपने पूर्वजों, श्रेष्ठजनों से आशीर्वाद प्राप्त करके ब्राह्मणों को दान दक्षिणा देकर आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। इस अवसर पर देश भर से इष्ट मित्रों, भक्तों, शिष्यों एवं परिवारजनों से शुभकामना के साथ आशीर्वाद प्राप्त हुआ। इसी क्रम में इस प्रकार के शुभ एवं पैतृक कर्मों को न्यास द्वारा वैदिक विधि विधान से करने/करवाने के लिए सहयोग हेतु संस्थान के साथ जुडऩे के लिए समाज के प्रत्येक वर्ग के लोगों को आवाहन किया। उन्होंने कहा कि मनुष्य को अपने दु:ख सुख को समाज के साथ मिलकर बाटने से दु:ख घट जाता है और सुख की खुशियां बढ़ जाती है। इस अवसर पर आचार्य आशीष मणि त्रिपाठी, राकेश कुमार यादव, श्री विमलेश पाण्डेय, अनुग्रह उपाध्याय, आचार्य सुबोध जी, अजेश यादव एवं आस्था अनिल सहित भक्त जन उपस्थित रहें।
 

   

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