उच्च शिक्षण संस्थानों में रैगिंग रोकने के लिए जिला स्तर पर बनेगी एंटी रैगिंग कमेटी

जयपुर, 29 अप्रैल (हि.स.)। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने देशभर के उच्च शिक्षण संस्थानों में रैगिंग रोकने के लिए राजस्थान समेत सभी प्रदेशों को जिला स्तर पर एंटी रैगिंग कमेटी का गठन करने के निर्देश दिए हैं। इस कमेटी का प्रमुख जिला कलेक्टर को बनाया गया है।

यूजीसी के सचिव मनीष आर जोशी की ओर से समस्त राज्यों को जारी दिशा निर्देशों के अनुसार रैगिंग एक आपराधिक अपराध है और यूजीसी ने रैगिंग के संकट को रोकने, प्रतिबंध और समाप्त करने के लिए उच्च शैक्षणिक संस्थानों में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसरण में एंटी रैगिंग रेगुलेशन-2009 बनाया है। ये नियम अनिवार्य हैं और सभी संस्थानों को निगरानी तंत्र सहित इसके कार्यान्वयन के लिए आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता है। इन नियमों के किसी भी उल्लंघन को गंभीरता से लिया जाएगा। यदि कोई संस्थान रैगिंग को रोकने के लिए पर्याप्त कदम उठाने में विफल रहता है या इन विनियमों के अनुसार कार्य नहीं करता है या रैगिंग की घटनाओं के अपराधियों को उचित रूप से दंडित करने में विफल रहता है, तो उस पर रैगिंग के खतरे को रोकने के लिए यूजीसी विनियम-2009 के अनुसार दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।

उन्होंने बताया कि उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार रैंगिंग संबंधी अपराधों पर निगरानी रखने कार्रवाई करने के लिए जिला स्तरीय एंटी रैगिंग कमेटी का गठन किया जायेगा। जिला कलेक्टर /उपायुक्त/जिला मजिस्ट्रेट समिति को कमेटी का प्रमुख बनाया गया है। अपर जिलाधिकारी इसके सदस्य सचिव होंगे। इसके अलावा संबंधित विश्वविद्यालय/कॉलेज/संस्थान के प्रमुख, जिले के पुलिस अधीक्षक/एसएसपी कमेटी के सदस्य होंगे। स्थानीय मीडिया के प्रतिनिधि, जिला स्तरीय गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि, छात्र संगठनों के प्रतिनिधियों को भी कमेटी में शामिल किया गया है। इसके साथ ही स्थानीय पुलिस, स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ संस्थागत प्राधिकारी भी संभावित घटनाओं पर निगरानी सुनिश्चित करेंगे जो रैगिंग की परिभाषा में आते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/संदीप/दधिबल

   

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