भारतीय संस्कृति के गौरव का बोध कराएगा शास्त्रीय तिथि–पत्र, हुआ लोकार्पित

वाराणसी, 29 अप्रैल (हि.स.)। श्रीकाशी विद्वत परिषद ने शास्त्रीय तिथि पत्र नामक पंचांग तिथि–पत्र (कैलेण्डर) बनाया है। सोमवार को परिषद के उपाध्यक्ष प्रो.रामचंद्र पाण्डेय की अध्यक्षता में महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी, ज्योतिष प्रकोष्ठ के प्रो. चंद्रमौली उपाध्याय, अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानन्द ने संयुक्त रूप से तिथि पत्र को लोकार्पित किया।

इस शास्त्रीय तिथि पत्र की विशेषता है कि इसे पूर्णरूप से पारंपरिक ज्योतिष शास्त्र की सूक्ष्मतम गणना पर आधारित कर विशेष सरलतम रूप में बनाया गया है। जिससे कि सामान्य लोग भी सरलता पूर्वक इसे देख सकें। इसके साथ ही यह कैलेंडर की यह भी विशेषता है कि इसमें मास की गणना जनवरी-फरवरी इत्यादि से न होकर चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ इत्यादि भारतीय मासों के आधार पर किया गया है। यह कैलेंडर संवत् 2081के चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से आरंभ होकर चैत्र कृष्ण अमावस्या तक के तिथि वार नक्षत्र योग करण एवं इन दिनों के अंग्रेजी दिनांकों को भी सूचित करेगा। साथ ही इसमें सामान्य जन की सरलता के लिए प्रत्येक पक्ष में भद्रा की स्थिति मूल की स्थिति, पंचक सहित प्रत्येक पक्ष के व्रत पर्वों को भी धर्मशास्त्रीय आधारित निर्णय से निरूपित किया गया है। इस पंचांग में प्रत्येक पक्ष के प्रत्येक तिथियां में होने वाले विशेष कृत्यों को भी शास्त्र के अनुसार निरूपित किया गया है । इसके साथ ही मुंडन, कर्णवेध, यज्ञोपवीत, विवाह, द्विरागमन, वधुप्रवेश, प्रसूता स्नान, व्यापारारंभ, गृहारंभ, गृह प्रवेश, यात्रा, विपणि आदि मुहूर्त का तथा राशिफलों का विस्तार पूर्वक निरूपण किया गया है।

काशी विद्वत परिषद के सभी पदाधिकारीयों ने इसकी विशेषता को बताया। बताया कि भारतीय चैत्रादि गणना क्रम से संपादित यह कैलेंडर निश्चित ही भारतीय काल गणना पद्धति की विशेषता को निरूपित करता हुआ जन सामान्य के लिए उपयोगी एवं लाभदायक सिद्ध होगा। भारतीय संस्कृति के गौरव का बोध भी कराएगा। परिषद के अध्यक्ष पद्मभूषण प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी ने कहा कि शास्त्र शुद्ध एवं सरल रूप में जन सामान्य के लिए निर्मित यह तिथि पत्र समाज के लिए निश्चित ही उपयोगी सिद्ध होगा ।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/बृजनंदन

   

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