नया हिंदी कविता संग्रह 'शब्दों की आकृतियाँ ' का विमोचन

जम्मू, 30 अप्रैल (हि.स.)। राजेश्वर सिंह 'राजू', द्वारा लिखित हिंदी कविताओं का संग्रह 'शब्दों की आकृतियाँ' का अमेज़न, फ्लिपकार्ट और नोशंन प्रेस, चेन्नई पर विमोचन किया गया। इस कविता संग्रह में हिंदी भाषा की 75 कविताएँ हैं, जिनमें मुख्य रूप से सरल भाषा में विभिन्न विषयों पर लिखी गई मुक्त छंद कविताएँ हैं, ताकि पाठक आसानी से इनमें व्यक्त विचारों से जुड़ सकें। यह मन में उमड़ते विचारों को शब्दों में ढालकर जीवन के विभिन्न पहलुओं को समेटते हुए उन्हें अलग-अलग आकार देने का एक प्रयास है। काव्य प्रेमियों के साथ सरल तरीके से जुड़ने और उन्हें आनंद का अनुभव देने का प्रयास किया गया है क्योंकि यह हम सभी से संबंधित हैं। कविताएं कल्पना की उड़ान तो भरती हैं लेकिन जीवन की कटु सच्चाइयों की भी बात करती हैं। यह बस बाधाओं से गुज़रते हुए जीवन में बेहतर दिशा की ओर कदम उठाने की एक यात्रा है। शब्द विभिन्न भावनाओं के आकार बनाते हैं जिनसे हम अपने जीवन के विभिन्न चरणों में गुज़रते हैं। कवि ने इस संग्रह में स्त्री-पुरुष संबंध, अध्यात्म, शोषण, सामाजिक कुरीतियाँ, प्रेम, षडयंत्र आदि लगभग सभी विषयों को शामिल किया है।

उनका कहना है कि हर कविता प्रेमी किसी भी कविता को अपने तरीके से समझता है जो कविता की खूबसूरती भी है। जिस प्रकार कविता पढ़ना एक शाश्वत अनुभव है, उसी प्रकार एक कवि के लिए उसमें शामिल रचनात्मक प्रक्रिया भी एक सुखद अनुभूति प्रदान करती है। वह इस बात की वकालत करते हैं कि हमारे क्षेत्र में भी पढ़ने की संस्कृति विकसित होनी चाहिए जो लेखकों को साहित्य प्रेमियों को अच्छा साहित्य परोसने के लिए और अधिक प्रयास करने के लिए प्रेरित करेगी। यह सच है कि सबसे पहले एक ख्याल दिल पर दस्तक देता है, फिर दिल शब्दों को ढूंढता रहता है और जब शब्द मिल जाते हैं तो वह विचार शब्दों की आकृति में बदल कर साहित्य की किसी एक विधा का हिस्सा बन जाता है। 112 पन्नों की इस किताब का मुख्य पृष्ठ मृणालिनी सिंह ने डिजाइन किया है जो काफी आकर्षक और रचनात्मक है। कवि ने आशा व्यक्त की कि पुस्तक को पाठकों और आलोचकों द्वारा खूब सराहा जाएगा।

हिन्दुस्थान समाचार/राहुल/बलवान

   

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