बीएसएफ के सबसे तेज तर्रार अधिकारी सुरजीत सिंह गुलेरिया हुए सेवानिवृत्त

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पश्चिम बंगाल में पशु तस्करी को रोकने में प्रमुख भूमिका निभाई

कोलकाता, 01 मई (हि.स.)। सीमा पर तैनात सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के सबसे तेज तर्रार अधिकारी सुरजीत सिंह गुलेरिया आखिरकार 37 सालों की शानदार सेवा के बाद सेवानिवृत हो गए हैं। वे सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) पूर्वी कमान, कोलकाता के महानिरीक्षक (आपरेशन) के पद पर आखिरी पोस्टिंग के बाद रिटायर हुए हैं। भारत- बांग्लादेश सीमा जहां खून के रिश्ते होने की वजह से तार के बाड़ नहीं हैं, वहां आजादी के बाद से ही लगातार होने वाली मवेशी तस्करी पर अपनी तैनाती के दौरान शानदार तरीके से लगाम लगाने के लिए उनकी सेवा आने वाले सालों तक बीएसएफ अधिकारियों के लिए अनुकरणीय रहेगी। अपने पूरे कार्यकाल के दौरान, गुलेरिया ने कश्मीर में आतंकवाद से निपटने से लेकर बांग्लादेश सीमा पर अवैध तस्करी को रोकने और 2001-02 में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन-कोसोवो तक विभिन्न महत्वपूर्ण अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

वह 1987 में सहायक कमांडेंट के रूप में बीएसएफ में शामिल हुए और बल में सबसे ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों में गिने जाते थे।

गुलेरिया की उल्लेखनीय उपलब्धियों में से एक 2019 में बीएसएफ दक्षिण बंगाल सीमान्त में उनकी तैनाती के बाद भारत-बांग्लादेश सीमा पर मवेशी तस्करी पर की जाने वाली सफल कार्रवाई थी। उनके हस्तक्षेप से पहले, लगभग 70 फीसदी ऐसी अवैध गतिविधियां इस सीमा क्षेत्र से उत्पन्न हुईं, जिससे दोनों देशों पर काफी प्रभाव पड़ा। उनके नेतृत्व में, इन अवैध गतिविधियों पर रोक लगा दी गई, जो सीमा पार अपराधों के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण जीत का संकेत है। उन्होंने मिलीभगत के मामलों में बीएसएफ कर्मियों की संलिप्तता को भी नजरअंदाज नहीं किया और ऐसे मामलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की। दक्षिण बंगाल सीमा पर मवेशी तस्करी को प्रभावी ढंग से समाप्त किया जाना वर्तमान में भी जारी है। दक्षिण बंगाल सीमांत में डीआइजी (जी) के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान सक्रिय भागीदारी से काफी मात्रा में सोना, चांदी और अन्य नशीले पदार्थ और प्रतिबंधित वस्तुएं भी जब्त की गईं।

गुलेरिया की उत्कृष्ट सेवा को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिसमें 2008 में सराहनीय सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक और 2016 में विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक शामिल हैं। वर्ष 2021 में, उन्हें श्रीनगर के हुमामा कैंप में आतंकवादियों के आत्मघाती हमले को विफल करने तथा सफलता पूर्वक दुर्दांत आतंकवादियों को ढेर करने के लिए वीरता के लिए पुलिस पदक (पीएमजी) से सम्मानित किया गया। कर्तव्य के प्रति समर्पण के लिए उन्हें 20 अवसरों पर महानिदेशक के प्रशस्ति पत्र से भी सम्मानित किया गया। इन उपलब्धियों के अलावा, गुलेरिया को अन्य अनुकरणीय उपलब्धियां भी हासिल की हैं जिनमें 1994 में ईएमई 1 (सेना), सिकंदराबाद में छोटे हथियारों में इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्वर्ण पदक; 1991 में भारत सरकार द्वारा युद्ध कार्रवाई के लिए ''घाव पदक'' और 2022 में ''हैक्स इवेंट'' में ''41वीं अखिल भारतीय पुलिस घुड़सवारी चैम्पियनशिप'' में स्वर्ण पदक शामिल है ।

एस एस गुलेरिया ने पहले कोलकाता, पश्चिम बंगाल और बिहटा, पटना, बिहार में एनडीआरएफ की दो बटालियनों को स्थापित करने में बहुमूल्य योगदान दिया था। एस.एस.गुलेरिया ने देश भर में कई मानवीय सहायता और आपदा राहत कार्यों का नेतृत्व किया, जैसे चक्रवात-फैलिन, जम्मू और कश्मीर शहरी बाढ़-2014, चक्रवात हुदहुद 2014, और चेन्नई बाढ़-2015 और कई कीमती जिंदगियां बचाईं। राष्ट्रीय सुरक्षा में उनका योगदान और कर्तव्य के प्रति उनका समर्पण बीएसएफ अधिकारियों की भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा के रूप में काम करेगी। ईमानदारी, बहादुरी और प्रतिबद्धता की उनकी विरासत बल के रैंकों के भीतर गूंजती रहेगी, जो सीमा सुरक्षा बल को परिभाषित करने वाले उत्कृष्ट मूल्यों को दर्शाती है। हिन्दुस्थान समाचार /ओम प्रकाश /गंगा

   

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