सीमांचल के अररिया संसदीय सीट पर भाजपा, राजद और निर्दलीय के बीच दिलचस्प हुआ मुकाबला

फारबिसगंज/अररिया, 05 मई (हि.स.)। सीमांचल का अररिया लोकसभा सीट पर भाजपा की एक बार फिर जीत होगी या फिर राज़द प्रत्याशी अपनी विरासत बचा पाएंगे, ये तो मतगणना के बाद ही पता चलेगा। वही, इस सीट पर दो दिन बाद 7 मई को मतदाता मतदान करके प्रत्याशियों का भाग्य लिखेंगे । अब यहां जैसे देश में भीषण गर्मी है और चुनाव की सरगर्मी भी काफ़ी तेज है। वैसे में सीमांचल के अररिया का भी पारा काफ़ी हाई है ।

सीमांचल के अररिया सीट पर मुक़ाबला मतदान से पहले ही दिलचस्प हो गया है दरअसल, आरजेडी से टिकट कटने के बाद बागी हुए और अररिया सीट से निर्दलीय उम्मीदवार पेश कर रहे डॉक्टर शत्रुघ्न सुमन भी अररिया के मैदान में टाइट फ़ील्डिंग कर रहे हैं. आपको बता दें कि सिकटी विधानसभा के पूर्व विधायक मुरलीधर मंडल के बेटे हैं शत्रुघ्न सुमन के पिता मुरलीधर मंडल सिकटी के दो बार विधायक रह चुके हैं. शत्रुघ्न सिकटी विधानसभा से दो-दो बार न केवल चुनाव लड़ चुके हैं बल्कि दूसरे स्थान पर रहकर अच्छा खासा वोट भी हासिल कर चुके हैं. वही, शत्रुघ्न सुमन अररिया लोकसभा में अतिपिछड़ा जाति पर भी अच्छी पकड़ भी रखते हैं।

आपको बता दें कि वर्ष 2015 के बिहार विधान सभा चुनाव में जेडीयू प्रत्याशी के रूप में इन्होंने 68 हजार से अधिक वोट पाया तो 2020 विधान सभा चुनाव में आरजेडी प्रत्याशी के रूप में 70 हजार से अधिक मत प्राप्त किया था. अतिपिछड़ी जाति से आने वाले शत्रुघ्न सुमन केवर्त जाति से आते हैं और साथ ही अतिपिछड़ी जाति पर पकड़ रखते हैं. अतिपिछड़ी जाति के वोटबैंक को बीजेपी अपनी पारंपरिक वोटबैंक मानता आ रहा है.

शत्रुघ्न सुमन को बीजेपी के कई पूर्व विधायक और पार्टी के कई पूर्व दिग्गज नेताओं का साथ भी मिल रहा है । वही, अररिया में लगातार नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और मुकेश सहनी इसी अतिपिछड़ा वोट बैंक को साधने की पुरज़ोर कोशिश कर रहे हैं। वही, इस सीट से भाजपा से प्रदीप कुमार सिंह, राजद से शाहनवाज आलम, शत्रुघ्न सुमन समेत कई निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में हैं। वही, आज शाम इस सीट पर प्रचार प्रसार का भी शोर थम जायेगा और प्रत्याशी डोर टू डोर दस्तक देंगे।

हिन्दुस्थान समाचार/ प्रिंस कुमार/चंदा

   

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