हर मोड़ पे है एक नई उलझन,प्रभु साथ न दे तो धूप तो क्या छांव में भी चलना मुश्किल:अमृता भारती

अररिया फोटो:कथा वाचन,भीड़ और तीसरे दिन की शुरुआतअररिया फोटो:कथा वाचन,भीड़ और तीसरे दिन की शुरुआतअररिया फोटो:कथा वाचन,भीड़ और तीसरे दिन की शुरुआतअररिया फोटो:कथा वाचन,भीड़ और तीसरे दिन की शुरुआतअररिया फोटो:कथा वाचन,भीड़ और तीसरे दिन की शुरुआतअररिया फोटो:कथा वाचन,भीड़ और तीसरे दिन की शुरुआतअररिया फोटो:कथा वाचन,भीड़ और तीसरे दिन की शुरुआतअररिया फोटो:कथा वाचन,भीड़ और तीसरे दिन की शुरुआतअररिया फोटो:कथा वाचन,भीड़ और तीसरे दिन की शुरुआतअररिया फोटो:कथा वाचन,भीड़ और तीसरे दिन की शुरुआतअररिया फोटो:कथा वाचन,भीड़ और तीसरे दिन की शुरुआतअररिया फोटो:कथा वाचन,भीड़ और तीसरे दिन की शुरुआतअररिया फोटो:कथा वाचन,भीड़ और तीसरे दिन की शुरुआतअररिया फोटो:कथा वाचन,भीड़ और तीसरे दिन की शुरुआतअररिया फोटो:कथा वाचन,भीड़ और तीसरे दिन की शुरुआतअररिया फोटो:कथा वाचन,भीड़ और तीसरे दिन की शुरुआतअररिया फोटो:कथा वाचन,भीड़ और तीसरे दिन की शुरुआत

अररिया, 02फरवरी(हि.स.)।जीवन के हर मोड़ पे एक नई उलझन आती है जिससे संभलना मुश्किल होता है यदि प्रभु साथ न दे तो धूप तो क्या छांव में भी चलना मुश्किल है।उक्त बातें दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा आयोजित श्री हरि कथा के तीसरे दिन सर्वश्री आशुतोष महाराजजी की शिष्या साध्वी सुश्री अमृता भारती ने कही।

उन्होंने कहा कि जो कुछ भी तेरे दिल में है वह उसको खबर है,बंदे तेरे हर हाल पर मालिक की नजर है।उन्होंने अपने कथा के दौरान कहा कि ग्रंथ कहते हैं धन तभी सार्थक है जब उसे धर्म के कार्यों में लगाया जाए। साध्वीजी ने दान की महिमा का बखान करते हुए कहा कि ऋषि दधीचि ने लोक कल्याण के लिए जीवन का दान दिया, दानवीर कर्ण ने अपना सब कुछ दान में दिया। शास्त्रों में अनेकों जगह पर पिंड दान, गौदान, कन्यादान आदि का वर्णन है। द्रौपदी ने निष्काम भाव से साड़ी के किनारे श्रीकृष्ण को अर्पित किया।इतिहास साक्षी है कि श्रीकृष्ण ने उस छोटे से दान के बदले कैसा महादान दिया, वस्त्रा अवतार लेकर लेकिन दान देते वक्त हमेशा सुपात्र को ही दें कुपात्र को नहीं। यदि दान रावण जैसे अधर्मी को दिया तो हालत मां सीता के समान हो सकती है, आप भी छले जा सकते हैं। इसलिए अपने जीवन को उत्कृष्ट बनाने के लिए और समाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए आप सभी अवश्य योगदान दें। क्योंकि खाया पिया अंग लगेगा, दान किया संग चलेगा, बाकी बचा तो जंग ही लगेगा।

आगे स्वामी श्री सुकर्मानंद जी ने भारतीय संस्कृति के ऊपर प्रकाश डालते हुए कहा हमारे देश में नालंदा विश्वविद्यालय तक्षशिला विश्वविद्यालय जैसे ऐसे कई विद्यालय थे। जिसमें विदेशों से भी आकर विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते थे,लेकिन आज हम पाश्चात्य संस्कृति का अनुसरण करने लगे हैं हम अपनी संस्कृति को पहचाने और अपने रीति रिवाज को मनाए ना कि दूसरे के।

कथा वाचन के सफलता में गायक पवन कुमार, खुश्बू भारती, पुष्पा भारती,रामचंद्र, पैड वादक चंदन अररिया ब्रांच प्रभारी दिलीप कुमार, शेखर कुमार, मनोज कुमार वीरेंद्र भगत, वीरेंद्र मिश्रा, प्रकाश शर्मा, चंद्रप्रकाश सिंह, जयप्रकाश कुमार कैलाश पोद्दार सक्रिय भूमिका में रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/राहुल/चंदा

   

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