भक्ति भाव से मनाई गई अक्षय तृतीया: चंदन से महके देवालय, दान-पुण्य पर रहा जोर

जयपुर, 10 मई (हि.स.)। अक्षय तृतीया शुक्रवार को भक्तिभाव से मनाई गई। श्रद्धालुओं ने जमकर दान पुण्य किया। मंदिरों में जल से भरे मटके और बीजणी मुख्य रूप से दान की गई। मंदिरों में दिन भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। ठाकुरजी का चंदन से श्रृंगार कर शीतल व्यंजनों का भोग लगाया गया।

गोपीनाथ जी मंदिर - चांदपोल बाजार के कल्याण जी का रास्ता स्थित गोपीनाथ जी मंदिर के मातहत मंदिर कल्याण जी में अक्षय तृतीया पर ठाकुर जी के दशावतार विग्रह पर चंदन का लेप किया गया। खास बात यह है कि अक्षय तृतीया, जन्माष्टमी और मंदिर के पाटोत्सव पर दशावतार के दर्शन होते हैं। बाकी दिनों विग्रह को पोशाक धारण कराने से केवल कल्याण जी दर्शन होते हैं।

बद्रीनाथ जी मंदिर - चांदपोल बाजार के खजाने वालों का रास्ता स्थित बद्रीनाथजी मंदिर में ठाकुरजी का पंचामृत अभिषेक कर चंदन से लेपन किया गया। इसके बाद पीली जामा पोशाक धारण कराकर ऋतु पुष्पों से मनोरम श्रृंगार किया गया। आमतौर पर हनुमान जी के सिंदूरी चोला धारण कराया जाता है लेकिन अक्षय तृतीया पर अनेक मंदिरों में बजरंग बली को चंदन का चोला धारण कराया गया।

काले हनुमान जी मंदिर - इसी कड़ी में न्यू सांगानेर रोड मानसरोवर की प्रजापिता विहार कॉलोनी स्थित काले हनुमान मंदिर में हनुमान जी महाराज की पूरी प्रतिमा पर चंदन का लेप किया गया। महामंडलेश्वर मनोहरदास महाराज के सान्निध्य में अक्षय तृतीया का विशेष पूजन किया गया। चंदन की सुगंध से मंदिर सुवासित हो उठा। चंदन के लेप से लग रहा था मानो हनुमान जी महाराज को चंदन की पोशाक धारण करा रखी हो।

बद्रीनारायणजी मंदिर में भरा मेला:

आमेर रोड डूंगरी स्थित बद्रीनारायणजी मंदिर में अक्षय तृतीया को वार्षिक मेला भरा। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने बद्रीनारायण भगवान के दर्शन किए। मंदिर से जोरासिंह गेट तक लगे लक्खी मेले में उमड़े श्रद्धालुओं ने भगवान को फल अर्पित किए और बीजणी से हवा की। इस मौके पर मंदिर में फूल बंगला झांकी सजाई गई। मंदिर महंत बचन दास ने भगवान बद्रीनाथ को दाल, ककड़ी और मि का भोग लगाया। मंदिर प्रबंधक अमर गुप्ता ने बताया कि दिनभर अनेक झांकियां सजाई गई। श्रद्धालुओं ने दिनभर विशेष झांकी के दर्शन किए। बद्रीनाथ मंदिर में भगवान की काले रंग की पाषाण प्रतिमा स्थापित है। मंदिर का निर्माण चार सौ साल पहले संत माधोदास वैरागी ने कराया था।

आराध्य देव का किया केसर-चंदन का लेप, गर्भगृह में चला चांदी का फव्वारा

ठिकाना मंदिर गोविंददेवजी में अक्षय तृतीया का पावन पर्व भक्तिभाव से उत्सव चंदन यात्रा के रूप में मनाया गया। मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में सुबह मंगला झांकी के बाद ठाकुर जी का पंचामृत अभिषेक कर शीतलता प्रदान करने के लिए विशेष केसर युक्त चंदन का लेप किया गया और फव्वारा सेवा की गई। मंदिर प्रबंधक मानस गोस्वामी ने बताया कि चंदन यात्रा उत्सव के लिए जो चंदन लेप किया गया उस चंदन की तैयारी एक माह पूर्व ही प्रारंभ कर दी थी। जी को नवीन केसरिया धोती और दुपट्टा धारण कराकर गर्भ गृह में कूलर और पंखा सेवा भी प्रारंभ की गई। ठाकुरजी को पांच तरह के ऋतु फलों और मोतिया बेसन लड्डू का भोग लगाया गया। अक्षय तृतीया से ठाकुरजी की पोशाक सेवा में परिवर्तन हो गया है। अब ठाकुरजी धोती और दुपट्टा धारण किया । इस मौके पर भगवान परशुराम जी का अवतरण दिवस भी मनाया गया।

सरस निकुंज: गर्भगृह में लगाए सूती परदे

जयपुर। सुभाष चौक पानो का दरीबा स्थित शुक संप्रदाय की आचार्य पीठ सरस निकुंज में अक्षय तृतीया पर ठाकुर राधा सरस बिहारी सरकार की नित्य सेवा के साथ विशेष मनोरथ महोत्सव मनाया गया। ठाकुरजी को ठंडक प्रदान करने के लिए उनके चरण सहित सभी अंगों में केसर, चंदन और अन्य सुगंधित द्रव्यों का लेपन किया गया। शुक सम्प्रदाय पीठाधीश अलबेली माधुरी शरण महाराज ने ठाकुरजी की भाव स्वरूप सेवा की। ठाकुरजी को मधुर मिष्ठ व्यंजनों और शीतल पेय पदार्थों का भोग लगाया गया। मंदिर के गर्भ गृह में सूती के परदे लगाए गए और बिछायत मलमल की गई। निज मंदिर में एयर कंडीशनर की सेवा भी प्रारंभ कर दी गई।

परिकर वैष्णव महानुभावों ने सामूहिक रूप से चंदन शृगार की पदावलियों का गायन किया। सरस परिकर के प्रवक्ता प्रवीण बड़े भैया ने बताया कि शाम को आचार्य भगवान महामुनि शुकदेव महाराज के प्राकट्य महोत्सव की बधाइयों का गायन किया गया।

इन मंदिरों की भी बदली सेवा:

चांदनी चौक स्थित मंदिर आनंद कृष्ण बिहारीजी में अक्षय तृतीया पर ठाकुर जी को ठंडाई, शरबत, सत्तू, आमरस, खरबूजा, मतीरा आदि ठंडे व्यंजनों का भोग लगाया गया। वहीं ठाकुरजी को नटवर रूप की पोशाक धारण करवाई गई। पुरानी बस्ती स्थित गोपीनाथ जी चौड़ा रास्ता स्थित मंदिर दामोदर जी में, रामगंज बाजार स्थित लाड़ली जी मंदिर में भी ठाकुर जी के पहनावे और भोग राग में बदलाव हुआ।

हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश/संदीप

   

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