हृदय रोगों के लिए जागरुकता बढ़ाने में पूरे भारत से 35 हजार डॉक्टर्स ने लिया योगदान का संकल्प लिया

जयपुर, 16 मई (हि.स.)। प्रमुख शोध-आधारित ग्लोबल फार्मास्युटिकल कंपनी, ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड (ग्लेनमार्क) ने 'इंडिया फर्स्ट हार्ट फर्स्ट' अभियान के दूसरे चरण को शुरू किया। पहले चरण की अपार सफलता के साथ यह राष्ट्रव्यापी पहल पूरे भारत में हृदय स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से निपटने में महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाती है। यह अभियान उन गंभीर स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने के लिए ग्लेनमार्क की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है, जो हृदय संबंधी बीमारियों (सीवीडी) की वजह से उत्पन्न होती हैं।

इस अभियान की शुरुआत वर्ल्ड हार्ट डे (विश्व हृदय दिवस) के मौके पर एक प्रमुख कार्यक्रम के साथ हुई, जिसमें प्रसिद्ध कलाकार और पद्म श्री सुदर्शन पटनायक ने पुरी के समुद्र तट पर मानव हृदय से संबंधित रेत की संरचना बनाई।

उक्त संरचना के साथ, वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे 2024 (विश्व उच्च रक्तचाप दिवस) के मौके पर इस अभियान ने एक और उपलब्धि हासिल की। रोज़ क्वार्ट्ज़ के एक ही पत्थर से विशाल मानव हृदय को तराशने के लिए ग्लेनमार्क ने राष्ट्रपति पुरस्कार विजेता, जेमस्टोन कार्वर आर्टिस्ट पृथ्वीराज कुमावत के साथ साझेदारी की। रोज़ क्वार्ट्ज़ हृदय चक्र से जुड़ा एक पत्थर है, जो भावनात्मक संतुलन को बढ़ावा देता है। 8 फीट ऊँची और 3.5 टन वजन वाली इस अनूठी संरचना का अनावरण 17 मई, 2024 को किया जायेगा । इस दौरान, डॉ. दीपक माहेश्वरी, डॉ. जेएस मक्कड़ और डॉ. मनोज कुमार के साथ ही दिल्ली और जयपुर के प्रतिष्ठित हृदय रोग विशेषज्ञ उपस्थित रहे।

इस कार्यक्रम में हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. जे एस हिरेमथ, डॉ. ए श्रीनिवास कुमार, डॉ. जेपीएस साहनी और डॉ. दिलीप कुमार ने हृदय स्वास्थ्य के महत्व पर जोर दिया। वहीं, श्री कुमावत ने रत्न मूर्तिकला के अनुभव साझा किए। इसके अलावा, पूरे भारत से 35,000 डॉक्टर्स ने हृदय रोगों के लिए लोगों को जागरूक करने में अपने योगदान के लिए संकल्प लिया। प्रतिज्ञा कार्ड पर उनके द्वारा किए गए हस्ताक्षरों को मूर्तिकला के निचले हिस्से में प्रदर्शित किया गया। ये हस्ताक्षर इस सराहनीय उद्देश्य के प्रति एकजुट समर्पण पर प्रकश डालते हैं।

आलोक मलिक, प्रेसिडेंट और बिज़नेस हेड- इंडिया फॉर्म्यूलेशन्स, ग्लेनमार्क फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड, ने कहा कि इंडिया फर्स्ट हार्ट फर्स्ट अभियान के माध्यम से, हमारा उद्देश्य सिर्फ जागरुकता बढ़ाना ही नहीं, बल्कि इसके लिए उपयुक्त आंदोलन चलाना भी है, ताकि कोई भी इससे वंचित न रहे।

हाल ही में किए गए एक अध्ययन से स्पष्ट होता है कि सीवीडी, भारत में हर वर्ष लगभग 1.77 करोड़ लोगों की मौत का कारण बनता है। साथ ही, यह गैर-संचारी रोग संबंधी मौतों का भी मुख्य कारण है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें, तो दुनिया भर में सीवीडी से होने वाली मौतों में भारत पांचवें स्थान पर है, खासकर युवा लोगों में। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिसीज़ के अध्ययन में पाया गया कि भारत में सीवीडी से होने वाली मौतों की दर प्रति 100,000 लोगों पर 272 है, जो वैश्विक औसत 235 से बहुत अधिक है।

हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश/संदीप

   

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