लॉकडाउन की अवधि के सभी मुकदमे वापस

- जन सूचनाधिकार से मिली जानकारी

देहरादून,17 मई (हि.स.)। उत्तराखंड शासन ने एक शासनादेश जारी कर उत्तराखंड राज्य में उत्तर प्रदेश की तरह लॉकडाउन की अवधि में आपदा प्रबंधन अधिनियम एवं महामारी अधिनियम तथा भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं में दर्ज सभी मुकदमे वापस ले लिये हैं। यह जानकारी सूचना अधिकार के अंतर्गत नदीम उद्दीन को संबंधित शासनादेश की प्रति उपलब्ध होने से हुई है।

काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने उत्तराखंड सरकार की ओर से मुकदमे वापसी संबंधी सूचना लोक सूचना अधिकारी अभियोजन निदेशालय उत्तराखंड से मांगी थी। निदेशालय से सूचना प्रार्थना पत्र जिलों के अभियोजन कार्यालय हस्तांतरित करने पर अल्मोड़ा जनपद की लोक सूचना अधिकारी/सहायक अभियोजन अधिकारी शिखा श्रीवास्तव ने लॉकडाउन अवधि में मुकदमे वापसी के संबंध में शासनादेश संख्या 203 की प्रतिलिपि उपलब्ध कराई है।

शासनादेश के अनुसार कोविड-19 के काल के दौरान लॉकडाउन की अवधि में आपदा प्रबंधन अधिनियम, महामारी अधिनियम व भारतीय दंड विधान आईपीसी की धारा 188, 269, 270 एवं 271 के अंतर्गत दर्ज सभी मुकदमों को वापस लिए जाने की कार्यवाही करने को आदेशित किया गया है।

शासनादेश में उल्लेखित है कि उत्तर प्रदेश के शासनादेश संख्या 1042/डब्ल्यू सी/सात न्याय-5-2021 डब्ल्यू सी/2021, 26-10-2021 द्वारा इसी प्रकार के मुकदमों की वापसी के लिए निर्गत शासनादेश में आपदा प्रबंधन अधिनियम, महामारी अधिनियम, भावि की धारा 188, 269, 270 एवं 271 तथा मामले से संबद्ध भारतीय दंड संहिता की अन्य अपराध की धाराएं जिसमें अधिकतम दो वर्ष की सजा और जुर्माने का प्रावधान है, से संबंधित पूरे प्रदेश में जनसामान्य (वर्तमान तथा पूर्व सांसद, विधायक, विधान परिषद सदस्य छोड़कर) के विरुद्ध पंजीकृत अभियोगों को वापस लिए जाने की लिखित अनुमति के निर्णय के साथ दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 321 में उल्लेखित प्रावधानों का अनुपालन करते हुए मुकदमें वापस लिए जाने संबंधी आदेश जारी किया गया है।

इन मुकदमों में लॉकडाउन उल्लंघन आदि गाइडलाइन व आदेशों के उल्लंघन के अतिरिक्त भारतीय दंड संहिता की धारा 188 अंतर्गत छह माह तक की सजा से दंडनीय लोक सेवक के आदेशों का पालन न करना, उसे बांधा या नुकसान पहुंचाने का अपराध, धारा 269 के अंतर्गत दंडनीय उपेक्षा से जीवन को खतरे में डालने वाला कार्य करने का छह माह की सजा से दंडनीय अपराध धारा 270 के अंतर्गत जानबूझकर, जीवन के लिए संकट पूर्ण या रोग फैलाने वाला कार्य करने के अपराध दो वर्ष तक की सजा से दंडनीय अपराध तथा 271 के अंतर्गत क्वांरटीन के नियम का जान-बूझकर उल्लंघन का दो वर्ष तक की सजा से दंडनीय अपराधों के मुकदमें शामिल है।

हिन्दुस्थान समाचार/कमलेश्वर शरण/सत्यवान/सुनील

   

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