रातभर जलता रहा नैनीताल के बलियानाला के पास का जंगल

नैनीताल, 22 मई (हि.स.)। जिला और मंडल मुख्यालय में पिछले दिनों वनाग्नि की भयावह घटनाओं के बाद सेना के हेलीकॉप्टर की मदद लेनी पड़ी थी। जबकि इधर एक बार फिर नगर के आसपास वनाग्नि की घटनाएं होने लगी हैं। नगर के आधार कहे जाने वाले बलियानाला के पास के जंगल में मंगलवार शाम से आग लग गयी थी जो पूरी रात के बाद बुधवार दिन तक जलती रही।

नगर पालिका के पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष डीएन भट्ट ने कहा कि जहां आग लगी है, वह क्षेत्र प्रभागीय वनाधिकारी, वन संरक्षक, मुख्य वन संरक्षक, जिलाधिकारी और कुमाऊं मंडल के आयुक्त के कार्यालय एवं आवास से मात्र एक किलोमीटर की हवाई दूरी पर है तथा वहां से स्पष्ट दिखाई भी देता है। इसके बावजूद यह हाल है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2003 में इस क्षेत्र में वनीकरण के लिए बलिया नाला प्रोजेक्ट से वन विभाग को लाखों रुपये आवंटित किए गए थे।

वर्ष 2005 में वन विभाग की ओर से तल्लीताल रामलीला स्टेज से लेकर कृष्णापुर-गोमुख धारा तक कई जगह साइन बोर्ड लगाए कि विभाग ने बलिया नाला प्रभावित क्षेत्र में हजारों की संख्या में तिलौंज, उतीस व मणीपुरी बांज की पौंध लगायी थीं, लेकिन इसके बाद कभी वन विभाग ने मुड़ कर नहीं देखा कि जो वनीकरण किया गया था, उसका क्या हाल है।

बलिया नाला क्षेत्र अति संवेदनशील क्षेत्र है, फिर भी यहां वन विभाग का कोई वन रक्षक भी इस क्षेत्र में देखा नहीं गया है। उन्होंने बताया कि बलिया नाला क्षेत्र की अधिकतर पहाड़ियों 70 से 90 डिग्री तक ढलान में आ चुकी हैं और बहुत हद तक छोटी-छोटी झाड़ियों और पेड़ों की जड़ों ने उसे रोक कर रखा है, लेकिन आग इस क्षेत्र के पूरे पारिस्थितिक तंत्र का सर्वनाश कर रही है।

उल्लेखनीय है कि बलियानाला क्षेत्र नैनीताल नगर का आधार है और यहां दशकों से बड़े स्तर पर भूस्खलन हो रहा है और भूस्खलन की रोकथाम के लिये यहां लाखों रुपये खर्च कर पौधरोपण भी किया गया है, लेकिन जिला और मंडल मुख्यालय के पास भी वनों में लगी इस आग के प्रति जिम्मेदार लोग जिम्मेदार नजर नहीं आ रहे हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/डॉ. नवीन जोशी/सत्यवान/रामानुज

   

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