वन्य जीवों के लिए बनाए वॉटर पॉइंट्स, वाट्सऐप ग्रुप बनाकर लोगों को जोड़कर प्यास बुझाने में मदद कर रहे

जोधपुर, 23 मई (हि.स.)। धवा और डोली वाइल्डलाइफ क्षेत्र में पानी की समस्या से आमजन तो परेशान है ही साथ ही वन्यजीवों को भी गंदा पानी पीकर काम चलाना पड़ रहा है। ऐसे में या तो वे मर रहे हैं या फिर बीमार नजर आते हैं। ये क्षेत्र फारेस्ट एरिया में आता है। यहां गाय, भेड़, बकरी, हिरण, लोमड़ी, ब्लैक बक, मोर और चिंकारा सहित कई वन्यजीव शामिल हैं। सभी जोजरी नदी का गंदा पानी पीने पीने को मजबूर हैं।

ऐसे में यहां वाइल्डलाइफ एक्टिविस्ट श्रवण पटेल में इसका जिम्मा उठाया है। वे वन्य जीवों के लिए 2 साल में 6 वॉटर पॉइंट्स बना चुके हैं। इसके लिए वे पानी टैंकरों में मंगवाते हैं। श्रवण बताते हैं कि इसके लिए वे वॉट्सऐप ग्रुप बना कर लोगों को जोड़ना शुरू किया है ताकि वन्य जीवों की समस्या का समाधान हो सके।

15 किमी एरिया में 6 वॉटर पॉइंट्स

श्रवण ने बताया- 7 अलग-अलग क्षेत्र में वन्यजीवों के लिए अपनी टीम के सहयोग से पानी की व्यवस्था कर रहे हैं। धवा और डोली वाइल्डलाइफ क्षेत्र में पानी की भयंकर किल्लत है। यहां जोजरी नदी के दुष्प्रभाव के चलते जमीन के नीचे का पानी प्रदूषित हो चुका है। गांव के प्राचीन कुएं, तालाब, बावड़ी सभी में प्रदूषित पानी हो गया है। इस पानी के संपर्क में आने से कई बीमारियां हो रही है। वन विभाग और प्रशासन से खास मदद नहीं मिलते देख वन्यजीवों के पीने के पानी के लिए श्रवण पटेल ने सोशल मीडिया पर अपना एक ग्रुप बनाया है। जिसमें प्रत्येक फॉलोअर्स से 1 रुपया प्रतिदिन के हिसाब से मदद की अपील की जा रही है। श्रवण ने बताया इन लोगों के सहयोग और खुद के खर्चे पर करीब 15 किलोमीटर के क्षेत्र में 6 वाटर पॉइंट बनाए हैं। जिन्हें ईंटों की सहायता से बनाया गया है। इसमें प्रत्येक दो से तीन दिन में 1000 प्रति टैंकर के हिसाब से पानी डलवाया जा रहा है। इसके बावजूद यहां सरकारी टैंकर और वन विभाग की ओर से कोई व्यवस्था नहीं की गई है।

श्रवण ने बताया प्रत्येक वाटर पॉइंट के बीच में 3 किलोमीटर की दूरी रखी गई है। इन एक वाटर पॉइंट पर प्रत्येक माह करीब 10 से 12 हजार का पानी डलवाया जा रहा है। इन्हें इस तरीके से बनाया गया है कि जिससे हिरण और अन्य जानवर भी पानी पी सकते हैं। इस एरिया में करीब 5000 से अधिक वन्य जीव रहते हैं। जिनमें गाय, भेड़, बकरी, हिरण, लोमड़ी, ब्लैक बक, मोर और चिंकारा सहित कई वन्यजीव शामिल हैं। श्रवण ने बताया कि पानी की आस में भटकते वन्य जीव की पीड़ा को देखते हुए पिछले 2 साल से इस कार्य में जुटे हुए हैं। सबसे ज्यादा मुश्किल इस साल आ रही है क्योंकि आसपास के कई गांव का पानी इतना खराब हो चुका है कि अब उसे किसी काम नहीं ले सकते। मीठा पानी आसपास की जगह पर मिलता नहीं है। इसके लिए 20 से 30 किलोमीटर दूरी से पानी का टैंकर मंगवाना पड़ रहा है। पिछले साल ही टैंकर 500 का था जो अब 1000 रुपए में भी मुश्किल से मिल पा रहा है। लेकिन वन्यजीवों की जान बचाने के लिए लोगों को सहयोग से मदद की अपील कर रहे हैं।

यहां की ट्यूबवेल और कुआं में गंदा पानी निकलता है जो इंसान तो क्या जानवरों के लिए भी पीने लायक नहीं है। गर्मी के समय में सबसे ज्यादा दिक्कत इस क्षेत्र में होती है करीब 15 किलोमीटर। के क्षेत्र में फेल है धवा डोली वाइल्डलाइफ एरिया में रहने वाले वन्य जीवों को पाने के लिए भटकना पड़ रहा है। वन्य जीव मजबूरी में 45 डिग्री से अधिक गर्म तापमान में तपे जोजरी नदी का प्रदूषित पानी पीने को मजबूर है। यह प्रदूषित पानी पीकर उनका पेट फूलने के साथ ही आंतें भी खराब हो रही है। इसके चलते कई वन्य जीवों की मौत भी हो रही है।

हिन्दुस्थान समाचार/चन्द्रशेखर/ईश्वर

   

सम्बंधित खबर