गायत्री जयंती 16 जून को: शक्तिपीठों में होंगे विशेष आयोजन

जयपुर, 13 जून (हि.स.)। अखिल विश्व गायत्री परिवार के तत्वावधान में गायत्री जयंती- गंगा दशहरा पर्व 16 जून ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को धूमधाम से मनाया जाएगा। इस मौके पर दो दिवसीय आयोजन होंगे।15 जून को सुबह से शाम तक सबकी सद्बुद्धि की कामना के साथ सामूहिक गायत्री महामंत्र का जाप किया जाएगा। शाम को राष्ट्र जागरण दीपयज्ञ होंगे।

गायत्री शक्तिपीठ ब्रह्मपुरी, गायत्री शक्तिपीठ वाटिका, गायत्री शक्तिपीठ कालवाड़, किरण पथ मानसरोवर स्थित श्री वेदमाता गायत्री वेदना निवारण केन्द्र में गायत्री जयंती पर विविध आयोजन होंगे। गायत्री शक्तिपीठ ब्रह्मपुरी में 15 जून को सुबह छह से शाम पांच बजे तक अखंड जप होंगे। इसके बाद दीपयज्ञ होगा। 16 जून को सुबह आठ बजे से पंच कुंडीय गायत्री महायज्ञ होगा। व्यवस्थापक सोहन लाल शर्मा और सहायक व्यवस्थापक मणिशंकर चौधरी ने बताया कि इस मौके पर दीक्षा, पुसंवन, नामकरण, यज्ञोपवीत सहित अन्य संस्कार भी कराए जाएंगे।

गायत्री से हुई वेदों की उत्पति

गायत्री मां से ही चारों वेदों की उत्पत्ति मानी जाती हैं। इसलिए वेदों का सार भी गायत्री मंत्र को माना जाता है। मान्यता है कि चारों वेदों का ज्ञान लेने के बाद जिस पुण्य की प्राप्ति होती है अकेले गायत्री मंत्र को समझने मात्र से चारों वेदों का ज्ञान मिलता जाता है। गायत्री मां को हिंदू भारतीय संस्कृति की जन्मदात्री मानते हैं। चारों वेद, शास्त्र और श्रुतियां सभी गायत्री से ही पैदा हुए माने जाते हैं। वेदों की उत्पति के कारण इन्हें वेदमाता कहा जाता है। ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं की आराध्य भी इन्हें ही माना जाता है। इसलिए इन्हें देवमाता भी कहा जाता है। समस्त ज्ञान की देवी भी गायत्री हैं इस कारण गायत्री को ज्ञान-गंगा भी कहा जाता है। मां पार्वती, सरस्वती, लक्ष्मी की अवतार भी गायत्री को कहा जाता है। सृष्टि के आदि में गायत्री मंत्र प्रकट हुआ। मां गायत्री की कृपा से ब्रह्मा जी ने गायत्री मंत्र की व्याख्या अपने चारों मुखों से चार वेदों के रुप में की। आरंभ में गायत्री सिर्फ देवताओं तक सीमित थी लेकिन जिस प्रकार भगीरथ कड़े तप से गंगा मैया को स्वर्ग से धरती पर उतार लाए उसी तरह विश्वामित्र ने भी कठोर साधना कर मां गायत्री की महिमा अर्थात गायत्री मंत्र को सर्व साधारण तक पंहुचाया। गायत्री परिवार के संस्थापक युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य ने 24 साल तक गायत्री महामंत्र के 24 पुरश्चरण अनुष्ठान कर गायत्री मंत्र को जन-जन तक पहुंचा दिया।

हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश सैनी/ईश्वर

   

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