गृहा रीजनल कॉन्क्लेव-2024 में रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर गृहा पुरस्कार से सम्मानित

वाराणसी, 20 जून (हि.स.)। प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आयोजित “गृहा रीजनल कॉन्क्लेव-2024” में वाराणसी के रुद्राक्ष अंतरराष्ट्रीय सहयोग एवं सम्मेलन केंद्र को “गृहा पुरस्कार” से सम्मानित किया गया। रूद्राक्ष का निर्माण ग्रीन बिल्डिंग के रूप में किए जाने पर यह पुरस्कार मिला। प्रदेश के प्रमुख सचिव, नगर विकास अमृत अभिजात, सीईओ गृहा काउंसिल ने यह पुरस्कार वाराणसी स्मार्ट सिटी के मुख्य महाप्रबंधक डॉ डी0 वासुदेवन को प्रदान किया। वाराणसी में जापान और भारत के सहयोग से तैयार रूद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर दोनों देशों के दोस्ती का प्रतीक है। रुद्राक्ष अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सम्मेलन केंद्र को एक ग्रीन बिल्डिंग के रूप में स्थापित करने के साथ इसमें पानी बचाने के लिए कम-प्रवाह वाले इनडोर फिटिंग्स की स्थापना की गई है। पानी की खपत की निगरानी और अपव्यय की पहचान के लिए बिल्डिंग प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से डिजिटल सब-मीटरिंग,साइट पर इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) चार्जिंग पॉइंट्स बनाया गया है। इसमें 1,40,000 किलोवॉट वार्षिक उत्पादन क्षमता वाले सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना,शीतलन आवश्यकताओं को कम करने के लिए डबल-ग्लेज़्ड दीवारों के साथ अत्यधिक इन्सुलेटेड निर्माण तकनीक का उपयोग,दीवारों के लिए ऑटोक्लेव्ड एरेटेड कंक्रीट (ए0ए0सी0) ब्लॉक्स का उपयोग,केंद्रीकृत कचरा संग्रहण प्रणाली का कार्यान्वयन,दिव्यांगजनों के अनुकूल और सुलभ भवन डिजाइन बनी है। रुद्राक्ष अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सम्मेलन केंद्र का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 जुलाई, 2021 को किया था। इसमें 1200 सीटों वाला ऑडिटोरियम, मीटिंग हॉल, रेक्रीऐशनल एरिया और अन्य आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। रुद्राक्ष अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सम्मेलन केंद्र का निर्माण जापान इन्टरनेशनल कोआपरेशन एजेंसी (जायका) सहायता से किया गया था, जिसमें जापानी सलाहकार और कार्यदायी संस्थायें सम्मिलित रही। रुद्राक्ष का संचालन, प्रबंधन एवं रखरखाव वाराणसी स्मार्ट सिटी करती है। बताते चले नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार अन्तर्गत ग्रीन बिल्डिंग रेटिंग, 'ग्रीन रेटिंग फॉर इंटीग्रेटेड हैबिटेट असेसमेंट' (गृहा) द्वारा निर्धारित राष्ट्रीय मानदंडों के आधार पर नवीन निर्माणों को यह पुरस्कार दी जाती है। इसके उद्देश्यों में कार्बन फुटप्रिंट को कम करना, निर्माण के दौरान ऊर्जा और पानी की खपत को न्यूनतम करना, नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियों को अपनाना और परियोजनाओं की संचालन लागत में 30-40 फीसदी की कटौती करना शामिल है। यह राष्ट्रीय पहल पर्यावरण के अनुकूल इमारतों के विकास के लिए नवाचार दृष्टिकोण को बढ़ावा देती है।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/आकाश

   

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