आईपीसी में कई बदलाव, गैंगरेप पर लगेगा धारा-70(1)

रायपुर, 22 जून (हि.स.)। देश में एक जुलाई से लागू हो रहे नए आपराधिक कानून के संबंध में पुलिस व कानून प्रवर्तन अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान करने रायपुर जिला प्रशासन द्वारा महत्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन शुक्रवार देर शाम को किया गया।

कार्यशाला में वक्ता के तौर पर शामिल हिदायतुल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, रायपुर के प्रो. अभिनव के. शुक्ला और प्रो. हिना इलियास ने नए कानून के तहत सजा प्रावधानों व डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों की मान्यता व साक्ष्य संबंधी प्रस्तुतिकरण की प्रक्रिया के सरलीकरण के दिशा में किए गए प्रबंधों की विस्तार से जानकारी दी। कलेक्टर डॉ. गौरव कुमार सिंह, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह, नगर निगम कमिश्नर अबिनाश मिश्रा, सीईओ जिला पंचायत विश्वदीप, प्रशिक्षु आई.ए.एस. अनुपमा आनंद सहित कार्यपालिक मजिस्ट्रेट, राजस्व अधिकारी व पुलिस के विवेचनाधिकारी भी इस कार्यशाला में शामिल हुए।

नए आपराधिक कानून सुधार पर कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम के को-ऑर्डिनेटर प्रो. अभिनव शुक्ला ने बताया कि नई भारतीय न्याय संहिता-23 में पूर्व प्रचलित धाराओं व सजा प्रावधानों में कई बदलाव हुए हैं। उन्होंने उदाहरण से स्पष्ट किया कि हत्या के अपराध पर दर्ज होने वाली धारा-302 अब नए कानून के अनुसार धारा-103 के रूप में दर्ज होंगे। गैंगरेप पर धारा-376(डी) की जगह अब नई संहिता के तहत धारा-70(1) के तहत अपराध दर्ज होगा। इसी तरह बलात्कार, जो कि भा.द.वि. के तहत धारा-376(3) के तहत दर्ज होता था, वह अब भारतीय न्याय संहिता में धारा-65(1) के तहत अपराध माना जाएगा। चोरी धारा-378 की जगह अब धारा-303(1) के अंतर्गत अपराध माना जाएगा।

डकैती पर अब धारा-310(1), लूट पर अब धारा-309 के तहत अपराध दर्ज होगा। धोखाधड़ी पर धारा-420 की जगह अब धारा-318 के तहत जुर्म दर्ज होगा। उन्होंने बताया कि ऐसे कई धाराओं में परिवर्तन कर न्याय प्रणाली में व्यापक सुधार कर अपराधों पर सख्त सजा का प्रावधान जमानत प्रक्रियाओं में सुधार, जांच व न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता लाई गई है। कार्यशाला में रायपुर जिले के अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी, अनुविभागीय दंडाधिकारी, अनुविभागीय पुलिस अधिकारी, नगर निरीक्षक व विभिन्न थानों के विवेचनाधिकारी शामिल रहें।

प्रो. हिना इलियास ने वर्कशॉप में बताया कि गंभीर प्रकरणों में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों को नए कानून में मान्यता मिली है। भगोड़े अपराधियों पर कानून और भी सख्त बनाया गया है। इन न्यायसंगत सुधारों से जहां छोटे अपराधों में लिप्त आरोपियों को सुधरने का अवसर दिया गया है, वहीं जघन्य अपराधों पर कड़ी सजा होगी। भारतीय न्याय संहिता में पहली बार कम्युनिटी सर्विस जैसी सजा का प्रावधान कर अपराधियों को सुधरने का अवसर भी दिए जाने का प्रावधान है। न्याय संहिता में ई-एफआईआर का प्रावधान है, जिसमें तीन दिवस की निर्धारित अवधि के भीतर पीड़ित को संबंधित थाने पर पहुंचकर अपनी पहचान, हस्ताक्षर सत्यापित कराना होगा।

कलेक्टर डॉ. सिंह ने इस भारतीय न्याय संहिता को उपयोगी बताया है एवं अधिकारियों से कहा है कि संशोधित नियमों व संहिता का गहन अध्ययन कर न्याय स्थापित करने व अपराधों की रोकथाम व पीड़ितों की मदद के लिए कदम उठाएं। उन्होंने कहा कि न्याय संहिता की जानकारी देने नियमित कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। एसएसपी ने कहा कि थानों में संहिता संबंधी पूरी जानकारी रखें एवं अपने मातहतों को नए कानून के संबंध में नियमित प्रशिक्षण दें।

हिन्दुस्थान समाचार/ गेवेन्द्र

   

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