मुख्यमंत्री पटेल ने निर्माणाधीन 'हरे कृष्ण सरोवर' परियोजना स्थल का दौरा कर जल संचयन कार्यों की समीक्षा की

मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल

• हरे कृष्ण सरोवर की जल संग्रहण क्षमता 45 लाख क्यूबिक मीटर होगी

• सरोवर की लंबाई 1360 मीटर और चौड़ाई 480 मीटर होगी

• सरोवर के निर्माण से 500 से अधिक किसानों और 1500 हेक्टर जमीन को सिंचाई का पानी उपलब्ध होगा

गांधीनगर, 30 जून (हि.स.)। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने रविवार को बनासकांठा की सीमावर्ती तहसील के कुंभारखा गांव में निर्माणाधीन जल संचयन के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट ‘हरे कृष्ण सरोवर’ का दौरा किया। इस सरोवर के निर्माण से आसपास के क्षेत्रों में न केवल जलस्तर ऊंचा उठेगा, बल्कि लोगों की सिंचाई की समस्या का भी समाधान होगा।

मुख्यमंत्री ने जल संचयन के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के दौरे के दौरान पद्मश्री सवजीभाई धोळकिया के साथ निर्माण स्थल का निरीक्षण किया। साथ ही, उन्होंने सिंचाई विभाग के अधिकारियों से इस प्रोजेक्ट की संपूर्ण जानकारी प्राप्त कर इसकी समीक्षा भी की। मुख्यमंत्री ने कुंभारखा के ग्रामीणों के साथ संवाद करते हुए कहा कि, “आप लोगों को कहने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी और विकास के कार्य होते रहेंगे। जब तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं, तब तक विकास कार्यों के लिए धन की कमी का कोई सवाल ही नहीं है।”

प्रधानमंत्री ने जल संचयन के लिए अग्रिम योजना बनाकर प्रत्येक जिले में 75 अमृत सरोवर का निर्माण कराया है। उनकी दूरदर्शिता के परिणामस्वरूप देशभर में जल संचयन और जल संवर्धन का अद्भुत कार्य हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि इस सरोवर का काम इतना अच्छा होने वाला है कि आने वाले समय में यह स्थान एक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित होगा। इस सरोवर के निर्माण से 1500 एकड़ क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी।

विधानसभा अध्यक्ष शंकरभाई चौधरी ने इस अवसर पर कहा कि जब जनकल्याण और विकास की भूख होती है, तब ऐसे कार्य होते हैं। उन्होंने राज्य सरकार और सवजी धोळकिया फाउंडेशन के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जल संचयन के कार्य के लिए सीमावर्ती क्षेत्र सुईगाम तहसील के चयन से इस क्षेत्र के लोगों का आशीर्वाद मिलेगा। उन्होंने कहा कि बरसाती पानी को व्यर्थ बहने से रोकने और पानी की बूंद-बूंद बचाने का यह जनभागीदारी का कार्य अन्य गांवों को भी प्रेरणा देगा। इस सरोवर के बनने से आसपास के सात गांवों को पानी की सुविधा मिलने के साथ-साथ प्रकृति के संवर्धन और संरक्षण के जरिए इकोसिस्टम का विकास होगा। सवजी धोळकिया फाउंडेशन, सूरत के चेयरमैन पद्मश्री सवजीभाई धोळकिया ने प्रसन्नता के साथ कहा कि, “हम पूरे गुजरात में काम करते हैं, लेकिन इस क्षेत्र के लोगों ने जिस तरह से सहयोग किया है, वह सचमुच अद्भुत है। यह तालाब आपका है और आपको ही इसकी देखरेख करनी है।” धोळकिया ने कहा कि किसी कार्य में बाधा उत्पन्न न करना भी एक तरह से पुण्य का काम है। सीमावर्ती क्षेत्र में पानी के लिए यह एक ऐतिहासिक काम हो रहा है।

इस अवसर पर मुख्य सचिव राज कुमार, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव पंकज जोशी, सिंचाई विभाग के सचिव के.बी. राबड़िया, कलेक्टर वरुणकुमार बरनवाल, जिला विकास अधिकारी एम.जे. दवे, प्रांत अधिकारी कार्तिक जिवाणी, पूर्व सांसद परबतभाई पटेल और सरपंच हरेश चौधरी सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।

उल्लेखनीय है कि सवजी धोळकिया फाउंडेशन, गुजरात सरकार और ग्रामीणों के सहयोग से हरे कृष्ण सरोवर का निर्माण कार्य 30 एकड़ भूमि में चल रहा है। खास बात यह है कि इस सरोवर के निर्माण के लिए ग्रामीणों ने 16 लाख रुपये का सार्वजनिक योगदान दिया है। यह सरोवर सवजी धोळकिया फाउंडेशन और सरकार के सहयोग से लगभग 4 करोड़ रुपये के अनुमानित खर्च से बनेगा। सरोवर की लंबाई 1360 मीटर, चौड़ाई 480 मीटर है और गहराई 1 मीटर है। सरोवर की जल संग्रहण क्षमता 45 लाख क्यूबिक मीटर है। इस सरोवर में वजापुर, कल्याणपुरा, एटा, रामपुरा, भटासणा, रड़का और चात्रा गांवों का बरसाती पानी डाला जाएगा। इस सरोवर में जल संचयन से कुंभारखा, खडोल, भटासणा, रड़का, चात्रा, सेडव और उचोसण गांव के लगभग 500 से अधिक किसानों की 1500 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई का लाभ मिलेगा।

हिन्दुस्थान समाचार/ बिनोद/प्रभात

   

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