एचआरटीसी के लिए कमाऊ पूत साबित हो रही हैं इलेक्ट्रिक बसें : पंकज चड्ढा

पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए डीएम पंकज चड्ढा।पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए डीएम पंकज चड्ढा।पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए डीएम पंकज चड्ढा।पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए डीएम पंकज चड्ढा।पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए डीएम पंकज चड्ढा।

धर्मशाला, 02 जुलाई (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम के लिए इलेक्ट्रिक बसें कमाऊ पूत साबित हो रही हैं। धर्मशाला डिवीजन में स्मार्ट सिटी के तहत मिली 15 इलेक्ट्रिक बसों ने एचआरटीसी को एक साल में डीजल बसों की अपेक्षा अच्छी खासी कमाई की है। यही नहीं इन बसों में डीजल बसों की अपेक्षा मेंटेनेंस भी काफी कम देखने को मिल रही है। एचआरटीसी को कुल मिलाकर इलेक्ट्रिक बसों से काफी फायदा हो रहा है।

एचआरटीसी धर्मशाला के डिविजनल मैनेजर पंकज चड्ढा ने मंगलवार को बताया कि धर्मशाला को मिली 15 इलेक्ट्रिक बसों ने एक साल का अपना सफर पूरा कर लिया है। बीते 26 मई 2023 को इस बस सेवा को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शुरू किया था। एक साल के भीतर इन बसों ने 6 लाख 35 हजार 479 किलोमीटर का सफर तय किया है। इस दौरान एचआरटीसी को एक करोड़ 70 लाख रुपए की आय हुई है। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक बसों की प्रति किलोमीटर आय 26.83 रुपए रही है जबकि डीजल की बसों में 25.09 पैसे प्रति किलोमीटर आय होती थी।

उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रिक बसों से 1.74 रुपये प्रति किलोमीटर का फायदा डीजल की बसों की अपेक्षा हुआ है। सबसे अहम बात यह है कि यह बसें पॉल्यूशन फ्री और नॉइस फ्री हैं। डीजल के दामों में वृद्धि के चलते इलेक्ट्रिक बसें काफी फायदेमंद साबित हो रही हैं। इनका बिजली का खर्चा भी डीजल के मुकाबले काफी कम पड़ रहा है। चार्जिंग करने पर 5.43 रुपए प्रति किलोमीटर बिजली का खर्चा आ रहा है जबकि डीजल बसों में 23.66 प्रति किलोमीटर खर्च बैठता था।

उन्होंने कहा कि ऐसे में एचआरटीसी को 18.23 रुपये प्रति किलोमीटर का फायदा हो रहा है। वहीं उन्होंने कहा कि बसों को चार्ज करने के लिए चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए गए हैं। धर्मशाला मैं आधुनिक तकनीक की वर्कशॉप तैयार हो रही है बाद में इन चार्जिंग स्टेशनों को इसी वर्कशॉप में शिफ्ट कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि फिलहाल इन बसों को डेढ़ सौ किलोमीटर के दायरे के अंदर चलाया जा रहा है इन्हें मेंटेन करना आसान है जबकि डीजल की बसों की मेंटेनेंस भी काफी महंगी पड़ती है।

हिन्दुस्थान समाचार/सतेंद्र/सुनील

   

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