श्रीराम जन्मभूमि मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का आमंत्रण पाकर भाव विभोर हुए गोविंद भावे

गोविंद भावे व उनके पुत्र आमंत्रण ग्रहण करते हुएगोविंद भावे व उनके पुत्र आमंत्रण ग्रहण करते हुएगोविंद भावे व उनके पुत्र आमंत्रण ग्रहण करते हुएगोविंद भावे व उनके पुत्र आमंत्रण ग्रहण करते हुएगोविंद भावे व उनके पुत्र आमंत्रण ग्रहण करते हुए

झांसी, 04 जनवरी (हि. स.)। मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम जन-जन की आस्था का केन्द्र हैं। भारत ही नहीं अपितु विश्व में उनके आदर्शों को आत्मसात किया जाता रहा है। 22 जनवरी को उनकी राजधानी अयोध्या में मंदिर की निर्माण कर उनकी प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है। श्री राम जन्मभूमि मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का यूं तो पीले चावल देकर जन-जन को आमंत्रण दिया जा रहा है। लेकिन कुछ ऐसे भी सौभाग्य शाली लोग जिन्हें 22 जनवरी को मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की जन्म भूमि पर प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर जाने का आमंत्रण मिला है। उनमें से विभाग के सह संघचालक रहे शंकर रामचंद्र भावे के पुत्र व विश्व हिन्दू परिषद के अन्तरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे ताऊ ओंकार भावे के भतीजे झांसी के आवास विकास निवासी गोविंद भावे भी एक हैं।

आज गुरुवार को श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र अभियान के झांसी महानगर सह समन्वयक दिनेश पाठक व कानपुर के सह प्रान्त कार्यवाह रामकेश जब उन्हें 22 जनवरी को श्रीराम लला के मंदिर में आयोजित प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में शामिल होने का आमंत्रण देने पहुंचे तो वह भाव विभोर हो उठे। उन्होंने इसे जन्म जन्मांतर पुण्य फल बताया। कहा कि यह पूर्वजों के पुण्यकर्मों का फल है जो उन्हें प्रभु श्रीराम के इस पावन महोत्सव में शामिल होने का मौका मिलेगा।

उन्होंने बताया कि आमंत्रण प्राप्त होने पर उन्हें इस तरह की अनुभूति हो रही है जिसको वह शब्दों में बयां नहीं कर सकते। उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि उनके पूर्वजों के आशीर्वाद से 500 वर्षों की प्रतीक्षा का फल उन्हें अपने जीवन काल में इन नेत्रों से देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि वह बड़े सौभाग्यशाली है जो भावे परिवार के वंशज है। उन्होंने कहा कि आज हम सुनते हैं कि हमारे पूर्वज किस तरह से योजनाएं बनाकर खून पसीना बहाते हुए बिना किसी परिणाम की चिंता किये इस दिन को देखने के लिए जुटे रहे। कितने कारसेवकों ने बलिदान दिया। कितनों को प्रताड़ित किया गया। जब यह सब कुछ याद आता है तो सिहरन होने लगती है, लेकिन आज इस सुखद पल को देखकर गर्व महसूस होता है कि हम प्रभु श्रीराम के किसी न किसी तरह काम आते रहे। उन्होंने युवा पीढ़ी को संदेश देते हुए कहा कि जो भी हमें मिल रहा है। यह सब प्रभु की कृपा है। कभी-कभी परिस्थितियां प्रतिकूल हो जाती हैं। उसे भी हमें कृपा ही मनाना चाहिए। यह बात युवा पीढ़ी को आत्मसात करना चाहिए।

हिन्दुस्थान समाचार/महेश/बृजनंदन

   

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