गुजरात में क्लाइमेट चेंज यूनिवर्सिटी स्थापित करने पर विचार: मंत्री

नेट जीरो सेमिनार

-‘नेट जीरो की ओर’ विषय पर परिसंवाद

गांधीनगर, 12 जनवरी (हि.स.)। जलवायु परिवर्तन जैसे वैश्विक मुद्दों की चुनौतियों से लड़ते हुए कार्बन उत्सर्जन को कम करने के उद्देश्य के साथ वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट 2024 के दौरान शुक्रवार को गांधीनगर के महात्मा मंदिर में वन एवं पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा शुक्रवार को 'टुवार्ड्स नेट जीरो' की थीम पर एक सेमिनार आयोजित किया गया।

सेमिनार में वन-पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री मुकेश पटेल ने टुवार्ड्स नेट जीरो (कार्बन ट्रेडिंग एवं डीकार्बनाइजेशन ऑफ इकोनॉमी) विषय पर आयोजित सेमिनार में गुजरात के संबंध में अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे हम जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, यह स्पष्ट होता जा रहा है कि कार्बन उत्सर्जन से निपटना न केवल नैतिक अनिवार्यता है, बल्कि उद्योग के लिए एक नया अवसर भी है। यही कारण है कि राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2009 में देश का सर्वप्रथम क्लाइमेट चेंज विभाग गुजरात राज्य में स्थापित कर दूरदर्शिता दर्शाई थी। मंत्री ने कहा कि गुजरात में डीकार्बनाइजेशन के कई अवसर हैं। हम गुजरात में क्लाइमेट चेंज यूनिवर्सिटी बनाने पर विचार कर रहे हैं, जिसमें क्लाइमेट चेंज टेक्नोलॉजी, क्लाइमेट चेंज इनोवेशन, कोस्टल पॉल्यूशन एंड मैनेजमेंट जैसे कई अन्य कोर्स शुरू किए जाएंगे। इससे जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में उत्कृष्ट विशेषज्ञ उपलब्ध होंगे। गुजरात ग्रीन टेक्नॉलाजी और सस्टेनेबल प्रैक्टिस आधारित ग्रीन इनोवेशन हब स्थापित करके प्रतिभा और निवेश दोनों को आकर्षित कर सकता है।

उन्होंने कहा कि गुजरात के 1600 किलो मीटर लंबे तटीय क्षेत्र में नवीकरणीय ऊर्जा की अपार संभावनाएं हैं। गुजरात में सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा की स्थापित क्षमता 22,000 मेगावाट से अधिक हो गई है। राज्य में विश्व का सबसे बड़ा 30,000 मेगावाट का नवीकरणीय ऊर्जा पार्क निर्माणाधीन है। नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश करके गुजरात न केवल डीकार्बनाइजेशन में योगदान देगा, बल्कि देश में स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन में अपनी स्थिति भी मजबूत करेगा।

इस अवसर पर उपस्थित गुजरात के वन एवं पर्यावरण तथा जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री मुलुभाई बेरा ने कहा कि आने वाले दिनों में इस प्रकार का कार्बन बाजार में भी विकसित किया जाएगा। मंत्री ने गुजरात में वन्यजीवों की सुरक्षा और लगातार बढ़ती आबादी का उल्लेख करते हुए कहा कि गुजरात में मैंग्रोव वृक्षों में वृद्धि, मिष्टी योजना, वनकवच, नमो वड वन जैसे कार्यों के परिणामस्वरूप गुजरात को इस दिशा में अद्भुत सफलता मिली है। मिशन लाइफ के साथ-साथ कार्बन ट्रेडिंग और ग्रीन क्रेडिट योजनाएं भारत सरकार की नई पहल हैं। पेरिस एग्रीमेंट के अंतर्गत इस विषय पर जहाँ वैश्विक सहमति बनने में समय लग रहा है वहीं भारत ने इसमें अच्छी शुरुआत की है।

परिसंवाद में प्रबुद्धों की चर्चा

परिसंवाद में उपस्थित टोरेंट पावर लिमिटेड के प्रबंध निदेशक जिनल मेहता ने कहा कि इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए रिन्यूएबल एनर्जी क्षेत्र के स्टोरेज सिस्टम के साथ जुड़ना बहुत जरूरी है। इसके लिए राउंड द क्लॉक कार्य करना जरूरी है और साथ मिल कर ही हम नेट जीरो के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। एम्बेसी ऑफ फिनलैंड की ओर से काउंसिलर किमोन सीरा ने कहा कि यह एक तकनीकी इश्यू है, जिसमें एक निश्चित सिस्टम बना कर काम करने की खास जरूरत है। उन्होंने कहा कि फिनलैंड 2035 तक कार्बन न्यूट्रल बन जाएगा।

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में स्ट्रैटेजिक इंटीग्रेशन की लीड ओलिविया जेडलर ने डीकार्बनाइजेशन के कार्य में उद्योगों को एक साथ लाने में विद्यमान चुनौतियों और कार्य के बारे में विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि हाल में स्थिति ऐसी है कि इंडस्ट्री में परस्पर संवाद कम है। वैश्विक स्तर पर इंडस्ट्रियल सेक्टर 32 प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन करता है। हम उद्योगों को एक साथ लाने का कार्य कर रहे हैं, जिससे उनमें एक शेयर्ड विजन का निर्माण हो और हम परिणाम ला सकें।

इस परिसंवाद में नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी. के. सारस्वत ने भारत के लक्ष्यों तथा 2070 तक नेट जीरो के लक्ष्य को प्राप्त करने के रोडमैप, इसमें व्याप्त अवसरों व चुनौतियों के विषय में एक विस्तृत प्रेजेंटेशन दिया। ओएनजीसी लिमिटेड के चेयरमैन व सीईओ अरुण कुमार सिंह ने आने वाले दिनों ओएनजीसी द्वारा किए जाने वाले कामकाज का विवरण दिया। नार्वे की एम्बेसेडर मे एलिन स्टेनर ने नार्वे के भारत में निवेश और दोनों देशों की भागीदारी के बारे में सभी को अवगत कराया।

हिन्दुस्थान समाचार/ बिनोद/संजीव

   

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