श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के दो किमी के दायरे में मांस मदिरा की दुकानें प्रतिबंधित होगी,प्रस्ताव पास

-आदिविश्वेश्वर वार्ड संख्या 69 के भाजपा पार्षद इंद्रेश कुमार सिंह के प्रस्ताव पर नगर निगम सदन की बैठक में लगी मुहर

वाराणसी, 18 जनवरी (हि.स.)। धर्म नगरी काशी में श्रद्धालुओं की बरसों की साध अब पूरी होने वाली है। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के लगभग दो किमी के दायरे में मांस मदिरा की दुकानें नहीं खुल पाएगी। गुरुवार को टाउनहाल में आयोजित नगर निगम सदन की बैठक में महापौर अशोक तिवारी ने आदिविश्वेश्वर वार्ड संख्या 69 के भाजपा पार्षद इंद्रेश कुमार सिंह के इस प्रस्ताव को पास कर दिया।

पार्षद इंद्रेश कुमार सिंह ने नगर निगम अधिनियम 1959 की धारा 91 (2) के तहत प्रस्ताव दिया कि धार्मिक शहरों अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार आदि के प्रमुख मंदिरों से दो से पांच किमी दायरे में मांस मदिरा की दुकानें नहीं खुलती हैं। केवल काशी में ही विश्वनाथ मंदिर के दो किलोमीटर दायरे में मांस मदिरा की दुकानें हैं। धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखकर इसे दो किमी के बाहर किया जाए। जिसे सर्वसम्मति से पास किया गया और इस प्रस्ताव पर महापौर ने मुहर लगा दी।

इसके अलावा पार्षद के दालमंडी की सड़कों को चौड़ी करने, यहां नगर निगम की 145 दुकानों का किराया डीएम सर्किल रेट पर करने का प्रस्ताव भी पास हो गया। माना जा रहा है कि दालमंडी की सड़कों के चौड़े होने से पूर्वांचल के व्यापारियों को जहां सुविधा रहेगी, वहीं स्थानीय लोगों को भी आवागमन में आसानी रहेगी।

पार्षद इंद्रेश सिंह ने बताया कि दालमंडी के चौड़ीकरण से काशी विश्वनाथ मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं की गाड़ियां भी आसानी से पहुंच जायेंगी। दालमंडी की सड़क काफी चौड़ी है लेकिन यहां पर अतिक्रमण होने के कारण श्रद्धालुओं की गाड़ियां नहीं जा पाती हैं। यदि इस सड़क को चौड़ा किया गया तो आने वाले दिनों में न केवल दालमंडी के लोगों को बल्कि मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं को भी फायदा होगा। पार्षद का तर्क रहा कि दालमंडी के सड़कों के चौड़ा होने से गोदौलिया और दशाश्वमेध मार्ग पर यातायात का दबाब कम होगा। दालमंडी में व्यापारिक केन्द्र का व्यवस्थित तरीके से विस्तार होने के साथ व्यापारिक गतिविधियां भी बढ़ जाएंगी। इस प्रस्ताव को भी सर्वसम्मति से पास किया गया।

पार्षद ने बताया कि हमारे प्रस्ताव से कुछ नागरिकों को कष्ट हो सकता है। लेकिन इस प्रस्ताव के क्रियान्वित होते ही सबसे ज्यादा प्रसन्न देवादिदेव होंगे। जिनकी नगरी में हम निवास करते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/आकाश

   

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