श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में जगमोहन शर्मा का डोगरी राम भजन लांच

विश्व शांति के लिए श्री राम के आदर्शों का अनुसरण करना आवश्यक : जगमोहन शर्मा
जम्मू।
प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक और संगीत गुरू विजय कुमार सम्बयाल जिन्हें रंगीले ठाकुर के नाम से जाना जाता है, ने राम लला प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में छलनी बजालता स्थित अपने आश्रम में आयोजित एक सादे समारोह में जगमोहन शर्मा के लिखे डोगरी राम ‘‘भजन राम मेरे अज्ज आ करदे न‘‘ को जारी किया। शुभम बनमोत्रा के गाए और सुनील मस्ताना के संगीतबद्ध किए इस भजन में भगवान राम के स्वागत में डुग्गर प्रांत के रहन-सहन, खान-पान और भक्तिभाव की शानदार झलक देखने को मिलती ऐ। वाच ओ सुनो डोगरी के संस्थापक जगमोहन शर्मा जो पिछले कुछ वर्षों से युवाओं और बच्चों में डोगरी के प्रचलन को बढ़ावा देने के लिए कार्य कर रहे हैं, ने इस भजन के बारे में स्टेट समाचार से बात करते हुए कहा कि आज के दौर में जहां पूरा विश्व हिंसा, नफरत और अहंकार जैसी विकृतियों के जाल में फंसकर मानवता के लिए खतरा पैदा कर रहा है, ऐसे में भगवान श्री राम के आदर्शों को अपना कर समूचे विश्व में शांति, सौहार्द और भाईचारा स्थापित किया जा सकता है। यह रामभजन विशिष्ट डुग्गर परंपराओं, यहां के आम जन मानस की भक्ति भावनाओं  को दर्शाता है जिसमें भेंट के लिए घियूर खिलाने और अंबल चखाने और स्वागत के लिए राहड़े चित्तरने का उल्लेख है। राम राज के बारे में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में जगमोहन ने कहा कि इसका संबंध किसी एक धर्म से नहीं अपितु एक ऐसी लोकतांत्रिक व्यवस्थ से है जहां कोई दुखी ना हो, सभी लोग सौहार्द और भाईचारे के वातावरण में जीवन व्यतीत करें। किसी के साथ अन्याय ना हो, हर प्राणी में ईश्वर का अंश देखते हुए सभी के कल्याण की व्यवस्था हो। डोगरी के इस भजन के बारे में बात करते हुए उन्होंने इसे भगवान राम का चमत्कार और आशीर्वाद मानते हुए कहा कि उन्हें अभी तक कविता में कोई अनुभव नहीं है यह सब कैसे हुआ यह ईश्वर के चमत्कार के अलावा अन्य कुछ नहीं, जो वह उनकी प्रशंसा और स्वागत में कुछ लिख सकें। उन्होंने भजन के गायक, संगीतकार तथा संगीत गुरू रंगीले ठाकुर का आभार व्यक्त किया जिन्होंने उनकी इस रचना को एक भजन के रूप में तैयार करने में निस्वार्थ भाव से अपना योगदान दिया।

 

   

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