उल्फा का 44 साल पुराना सशस्त्र संघर्ष समाप्त, उल्फा संगठन भंग

चिरांग (असम), 23 जनवरी (हि.स.)। प्रतिबंधित संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट आफ असम (उल्फा) का 44 साल पुराना सशस्त्र संघर्ष अब समाप्त हो गया। आम परिषद की बैठक के अंत में उल्फा के अस्तित्व को समाप्त करने का निर्णय लिया गया।

मंगलवार को उल्फा की आम परिषद की आखिरी बैठक सिपाझार के नए निर्माण केंद्र में आयोजित की गयी। पिछली बैठक में अनूप चेतिया का भाषण आंसूओं से ओतप्रोत था। उन्होंने कहा कि 'मैं उस संगठन को भंग करने जा रहा हूं, जिसने मुझे जन्म दिया। इसी महीने संगठन के हथियारों को सरकार को सौंप दिया जाएगा। उल्फा अब एक संगठन नहीं होगा।

दरअसल, गत 29 दिसंबर को दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री की उपस्थिति में सरकार और उल्फा के बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। उल्फा के वार्ता समर्थक धड़े में उल्फा के अध्यक्ष अरविंद राजखोवा समेत सभी बड़े नेता शामिल हैं। हालांकि, उल्फा के स्वयंभू सेनाध्यक्ष परेश बरुवा उल्फा स्वाधीन नाम से अलग धड़ा बनाकर अभी भी सशस्त्र संग्राम छोड़े हुए हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/ अरविंद/सुनील

   

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