वैज्ञानिक टेक्नोलॉजी का अधिकतम उपयोग कर, एक-दूसरे के पूरक बनकर काम करेंगे तो भारत और अधिक सुरक्षित बनेगा : ऋषिकेश पटेल

-5वें अंतरारष्ट्रीय और 44वें ऑल इंडिया क्रिमिनोलोजी कांफ्रेंस और स्टेट-ऑफ़-द-आर्ट-सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस इन डिजिटल फोरेंसिक पर तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस

गांधीनगर, 23 जनवरी (हि.स.)। राज्य के कानून एवं न्याय मंत्री ऋषिकेश पटेल ने सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन डिजिटल फोरेंसिक तथा बिहेवियरल फोरेंसिक कॉन्फ्रेंस में मंगलवार को कहा कि आज के टेक्नोलॉजी के युग में विश्व के किसी भी कोने से अपराधी अपराध करने लगे हैं, तब अधिक से अधिक सुरक्षित उपलब्ध कराने की दिशा में आज की कॉन्फ्रेंस महत्वपूर्ण सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में भारत की अंतरिक सुरक्षा को साइबर सिक्योरिटी के माध्यम से टेक्नोलॉजी के अधिकतम् उपयोग द्वारा सशक्त सुरक्षा दी गई है। इसका उत्तम उदाहरण राम मंदिर के उद्घाटन अवसर पर कोई अप्रिय घटना नहीं होना है।

इससे पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय- एनएफएसयू गांधीनगर में ‘सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस इन डिजिटल फोरेंसिक’ और ‘बिहेवियरल फोरेंसिक’ पर तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस का उद्घाटन किया। शाह ने '5वें अंतर्राष्ट्रीय और 44वें ऑल इंडिया क्रिमिनोलोजी कांफ्रेंस और स्टेट-ऑफ़-द-आर्ट सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस इन डिजिटल फोरेंसिक’ का भी शुभारंभ कराया। इस अवसर पर राज्य के कानून व न्याय मंत्री ऋषिकेश पटेल ने कहा कि विश्वभर में साइबर टेक्नोलॉजी का अधिकतम उपयोग हो रहा है, तब इस कॉन्फ्रेंस में विशेषज्ञों द्वारा जो मनोमनंथन किया जाएगा, उसके चलते अपराधी अपराध करने से बचेंगे। इसके अलावा टेक्नोलॉजी के माध्यम से कन्विक्शन रेट बढ़ाने के प्रयास भी किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि बिहेवियरल साइंस के साथ फोरेंसिक साइंस मिल कर काम करेगा, तो निश्चित ही अपराधी अपराध करने में विचार करेंगे। इसके लिए इस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया है, तब टेक्नोलॉजी तथा साइंटिस्टों को एक-दूसरे के पूरक बन कर काम करके अधिक से अधिक सुरक्षित भारत बने; ऐसे प्रयास करने का उन्होंने अनुरोध किया। न्यायमूर्ति और एनएचआरसी अध्यक्ष अरुण कुमार मिश्रा ने कहा कि मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए फोरेंसिक साइंस तथा बिहेवियरल फोरेंसिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अपराध रोकने के लिए डीएनए का अध्ययन जरूरी है। इसमें आज की यह बिहेवियरल कॉन्फ्रेंस बहुत ही मददगार सिद्ध होगी। इसके अतिरिक्त; विभिन्न रूप से अपराध करने वाले अपराधियों को अपराध छुड़ा कर समाज में पुनर्स्थापित करने के लिए अनुसंधान करना जरूरी है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि वैश्विक कल्याण के लिए कार्यरत भारत में हाल ही में पारित हुए तीन कानून सभी को न्याय-अधिकार दिलाएंगे। इंडियन क्रिमिनोलॉजिस्ट सोसाइटी की पूर्व अध्यक्ष डॉ. पूर्वी पोखरियाल ने स्वागत संबोधन में इस तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस का विवरण देते हुए कहा कि नेशनल फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी (एनएफएसयू) तथा इंडियन सोसाइटी ऑफ क्रिमिनोलॉजी, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू), राष्ट्रीय बाल अधिकार रक्षा आयोग (एनसीपीसीआर) तथा गुजरात राज्य मानवाधिकार आयोग (जीएसएचआरसी) के सहयोग से बिहेवियरल फोरेंसिक-रीइंटीग्रेटिंग एक्सांडिंग कोंटर्स ऑफ क्रिमिनोलॉजी एंड क्रिमिनालिटिक्स विषय पर आधारित पांचवीं अंतरराष्ट्रीय तथा 44वीं अंतरराष्ट्रीय परिषद का आयोजन किया गया है। इसमें 600 से अधिक प्रतिनिधि सहभागी होकर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे। आयोजन में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस अवसर पर जर्नल ऑफ क्रिमिनल ऑफ क्रिमिनोलॉजी एंड क्रिमिनालिस्टिक्स का अनावरण भी किया गया। साथ ही साथ, एनएफएसयू के कुलपति डॉ. जे. एम. व्यास की 50 वर्षीय कार्य यात्रा के दौरान हुए कार्यों पर विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा लिखित लेखों के दो वॉल्यूम का अनावरण हुआ। डॉ. व्यास को उनकी सफल सेवा के लिए प्रमाणपत्र प्रदान किया गया।

इस अवसर पर केन्द्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो, देशभर के कई न्यायाधीश, कानूनी अधिकारी, पुलिस अधिकारी, क्रिमिनोलॉजिस्ट्स, विद्वान, राज्य तथा केन्द्रीय पुलिस संस्थानों, फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरीज (एफएसएल), जेल विभाग, एनसीआरबी, बीएसएफ जैसी विभिन्न सरकारी एजेंसियों के अधिकारी भी उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/ बिनोद/प्रभात

   

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