भूमिहार समाज के खिचड़ी भोज में बोले पीठासीन अधिकारी, हर व्यक्ति में होनी चाहिए त्याग की भावना

लखनऊ, 27 जनवरी (हि.स.)। समाज की इकाई परिवार है। उसके बाद गांव और बिरादरी आता है। हम यदि परिवार को संगठित नहीं कर सकते तो फिर समाज को संगठित करने की कल्पना कैसे कर सकते हैं। हम सभी को मिलकर इस पर विचार करना चाहिए और अपनी बिरादरी व परिवार की सहायता के लिए त्याग करने की भावना होनी चाहिए। यह बातें श्रम न्यायालय के पीठासीन अधिकारी बी.के. राय ने कही। वे भूमिहार समाज के खिचड़ी भोज कार्यक्रम में बोल रहे थे। यह आयोजन लखनऊ के गांधी भवन में हुआ था, जिसका नेतृत्व अजय राय ने किया।

बी.के. राय ने कहा कि हमारी विचारधारा संकीर्ण नहीं होनी चाहिए। संकीर्णता के कारण ही लोग अपनी बिरादरी की बात करने से हिचकते हैं। हम अपनी बिरादरी का नाम ले रहे हैं, इसका मतलब यह नहीं कि हम दूसरों से अलग हो रहे हैं। हम तो अपनी बिरादरी को इकट्ठा कर राष्ट्रहित के हर काम में आगे आने के लिए इच्छुक हैं।

इस अवसर पर समाजसेवी, पर्यावरण प्रेमी कृष्णानंद राय ने कहा कि हम हर जगह हैं, हमें अपनी उपस्थिति का एहसास कराने की जरूरत है। इसके लिए हम सभी को एक साथ आगे बढ़ना होगा। हम समाज के हित के लिए हम स्व में एकजुट रहें तो बेहतर होगा। इसके लिए बुजुर्गों के मार्गदर्शन में युवाओं को आगे आना होगा। वहीं एस.एन. राय ने संगठन को आगे बढ़ाने के लिए पंजीकृत कराने पर जोर दिया।

मंच का संचालन गोपाल राय ने कहा कि हम सभी को समाज के काम के लिए आगे आना चाहिए। समाज से हम हैं। हमसे समाज नहीं है। यह सोच युवा वर्ग में डालने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि समाज के लिए जहां भी जरूरत रहती है, हम आगे रहते हैं। वहीं इटावा से आयीं ऋचा राय ने कहा कि हमारे पूज्य भगवान परशुराम हैं। हम हमेशा अपनी आन-बान-शान के लिए जीते हैं। इसको जीने के लिए हमें संगठित होना होगा। आगे भी हमारी शान बरकरार रहे, इसके लिए हम सभी को संगठित होकर आगे बढ़ना होगा। अजय राय के आग्रह पर सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंचे थे।

इस कार्यक्रम में प्रमुख रूप से गांधी भवन के लाल बहादुर राय, अरुण राय, भूपेश राय, एडवोकेट कृपा शंकर राय, मुरलीधर राय, राकेश राय, सत्येन्द्र राय, सुधाकर राय आदि लोग उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/उपेंद्र/आकाश

   

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