रामायण मनुष्य को जीवन जीने की कला सिखाती है : सत्यानंद आचार्य

राम जन्मभूमि मंदिर में हुई प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष में श्री साईं शौर्य मंदिर मिलन विहार मुरादाबाद में रामकथा करते पंडित सत्यानंद आचार्य।राम जन्मभूमि मंदिर में हुई प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष में श्री साईं शौर्य मंदिर मिलन विहार मुरादाबाद में रामकथा करते पंडित सत्यानंद आचार्य।राम जन्मभूमि मंदिर में हुई प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष में श्री साईं शौर्य मंदिर मिलन विहार मुरादाबाद में रामकथा करते पंडित सत्यानंद आचार्य।

मुरादाबाद, 30 जनवरी (हि.स.)। श्री राम जन्मभूमि मंदिर में हुई प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष में श्री साईं शौर्य मंदिर मिलन विहार मुरादाबाद नौ दिवसीय श्री राम कथा के आठवें दिन मंगलवार को हरिद्वार से आए पंडित सत्यानंद आचार्य ने सुनाया कि राम कथा दैहिक, दैविक और भौतिक तीनों तापों को हरने वाली है। जिस पर प्रभु की कृपा होती हैं वह निराश, अशांत व दुखी नहीं रह सकता हैं।

कथावाचक पंडित सत्यानंद आचार्य ने आगे कहा कि रामायण हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथों में से एक है। इसमें रचित सभी गुण जीवन के लिए हितकारी हैं। ये सभी गुण व्यक्ति को सत्य व सफलता के मार्ग बताते हैं। रामायण में भगवान श्रीराम के गुणों का उल्लेख किया गया है। साथ ही उनके जीवन के संघर्षों का जिक्र है। रोजाना रामायण का पाठ करने से जीवन के सही मोल का पता चलता है। साथ ही मनुष्य के सभी कष्ट भी खत्म हो जाते हैं। रामायण केवल धर्मिक ग्रंथ ही नहीं, बल्कि बल्कि मनुष्य को जीवन जीने की कला सिखाती हैं।

मंदिर प्रबंधक कमल मोहन सेठ द्वारा व्यवस्था देखी गई। पूजन पंडित आशुतोष शर्मा ने कराया। मुख्य यजमान शशिकांत वर्मा, संजय सक्सेना, अमित अग्रवाल, राकेश गुप्ता, पवन गुप्ता, नरेंद्र चौहान, अनिल मल्होत्रा आदि उपस्थित रहे। हिन्दुस्थान समाचार/निमित जायसवाल

/बृजनंदन

   

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