किसी ने सराहा तो किसी आलोचना की अंतरिम बजट की

1.आलोक गर्ग 2.वेद प्रकाश,3अमर जीत 4.डॉ. बीपी त्यागी1.आलोक गर्ग 2.वेद प्रकाश,3अमर जीत 4.डॉ. बीपी त्यागी1.आलोक गर्ग 2.वेद प्रकाश,3अमर जीत 4.डॉ. बीपी त्यागी1.आलोक गर्ग 2.वेद प्रकाश,3अमर जीत 4.डॉ. बीपी त्यागी1.आलोक गर्ग 2.वेद प्रकाश,3अमर जीत 4.डॉ. बीपी त्यागी1.आलोक गर्ग 2.वेद प्रकाश,3अमर जीत 4.डॉ. बीपी त्यागी1.आलोक गर्ग 2.वेद प्रकाश,3अमर जीत 4.डॉ. बीपी त्यागी1.आलोक गर्ग 2.वेद प्रकाश,3अमर जीत 4.डॉ. बीपी त्यागी1.आलोक गर्ग 2.वेद प्रकाश,3अमर जीत 4.डॉ. बीपी त्यागी1.आलोक गर्ग 2.वेद प्रकाश,3अमर जीत 4.डॉ. बीपी त्यागी1.आलोक गर्ग 2.वेद प्रकाश,3अमर जीत 4.डॉ. बीपी त्यागी1.आलोक गर्ग 2.वेद प्रकाश,3अमर जीत 4.डॉ. बीपी त्यागी1.आलोक गर्ग 2.वेद प्रकाश,3अमर जीत 4.डॉ. बीपी त्यागी1.आलोक गर्ग 2.वेद प्रकाश,3अमर जीत 4.डॉ. बीपी त्यागी1.आलोक गर्ग 2.वेद प्रकाश,3अमर जीत 4.डॉ. बीपी त्यागी

गाजियाबाद,01 फरवरी (हि.स.)। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट पर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने मिली जुली प्रतिक्रिया व्यक्त की है। भाजपा से जुड़े नेताओं ने जहाँ बजट की सराहना की है, वहीं विपक्षी दलों के नेताओं ने बजट की आलोचना की है।

विश्व हिंदू परिषद के महानगर अध्यक्ष आलोक गर्ग का कहना है कि आज का प्रस्तुत बजट चुनावी बजट भी कह सकते हैं। इस बजट में कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाया गया है जिससे आम आदमी, उद्योग जगत, तथा शेयर बाजार को नुकसान हो सकें। इसे समय के अनुकूल बजट कहा जा सकता है।

भाजपा के वरिष्ठ नेता व कारोबारी वेद प्रकाश खादीवाले कहते है कि वित्त मंत्री ने अंतरिम बजट में किया ऐलान किया है। बकाए टैक्स के डिमांड से छुटकारा देने का ऐलान किया, 2009-10 तक 25 हजार रुपए तक की देनदारी माफ, 2010-11 से 2014-15 तक 10 हजार रुपए की देनदारी माफ, इसी तरह डायरेक्ट टैक्स में भी कोई बदलाव नहीं, पहले की तरह ही रहेंगी डायरेक्ट टैक्स की दरें, 7 लाख रुपए तक नहीं लगेगा कोई भी इनकम टैक्स। यह अच्छा बजट है।

सहकारिता राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष अमर जीत विडडी का कहना है कि बजट केवल दिखावा मात्र है आम जनमानस के लिए बजट में कुछ भी नहीं है।

भाजपा सरकार ने मिडिल क्लास को फिर ठेंगा दिखाकर आयकर में कोई राहत नहीं दी। किसानों की आय बढ़ाने, बेरोजगार युवाओं के लिए कुछ नहीं किया।

राष्ट्रवादी जनसत्ता दल के स्वास्थ प्रकोष्ठ के प्रभारी डॉ. बीपी त्यागी का कहना है कि इण्डियन फाइनेंस कमीशन उम्मीद करता है कि हेल्थ बजट टोटल बजट का 8प्रतिशत होना चाहिये ।लेकिन इस बार हेल्थ को टोटल बजट का 1.98 प्रतिशत मिला है जो की काफ़ी कम है ।

उनका यह भी कहना है कि

यूनाइटेड नेशंस बोलते है कि टोटल जीडीपी का 5प्रतिशत हेल्थ बजट होना चाहिए लेकिन अगर हमआज का बजट देखे तो वह टोटल जीडीपी का 2.38 प्रतिशत है यानी यूएन में स्थायी सीट लेने के लिए हमे इसे 5प्रतिशतकरना होगा जो की नहीं है ।

हिन्दुस्थान समाचार/फरमान अली

/बृजनंदन

   

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