सरना प्रकृति पर आधारित मानव सभ्यता का प्रचीनतम धर्म है: धर्मगुरु बंधन तिग्गा

खूंटी, 4 फरवरी (हि.स.)। बंदगांव प्रखंड के लुम्बई में धर्म सोतो समिति शाखा लुम्बई का 10वां स्थापना दिवस सह सरना धर्म प्रार्थना सभा का आयोजन रविवार को किया गया। धर्मगुरु गोमेया पहान, धर्मगुरु करमू हेंबरोम और बेला मुंडरी की अगुवाई में अनुयायियों के साथ सरना स्थल में भगवान सिंङबोंगा की पूजा-अर्चना कर सुख, शांति और खुशहाली की कामना की गई।

समारोह में मुख्य अतिथि धर्मगुरु बंधन तिग्गा ने कहा कि सरना प्रकृति पर आधारित मानव सभ्यता का प्रचीनतम धर्म है। यह सभी धर्मों का आधार और संरक्षक है। सरना धर्म के अपने धार्मिक विधि-विधान, बहुमूल्य जीवन शैली, दर्शन तथा आदर्श हैं, जिसमें लाखों लोगों की धार्मिक आस्था है लेकिन राजनीतिक महत्वाकांक्षा के कारण सरकार सरना धर्म कोड तथा आदिवासी अधिकारों के प्रति उदासीन है।

उन्होंने कहा कि सरना धर्म कोड के अभाव के कारण न केवल आदिवासियों की धार्मिक एवं सामाजिक एकता टूटी है, बल्कि हम धर्मांतरण जैसी पीड़ा वर्षों से झेलने को मजबूर हैं। धर्मांतरण के कारण आदिवासियों की धार्मिक तथा सामाजिक व्यवस्था कमजोर हो रही है। विशिष्ट अतिथि सोमा कंडीर ने कहा कि सिंगबोंगा की स्तुति से मानव जीवन में भक्ति व श्रद्धा बढ़ती है। हमें जीवन में खुशहाली लाने के लिए हमेशा धर्म के रास्ते पर चलना चाहिए। सरना धर्म में अच्छाई, सच्चाई, ईमानदारी एवं कर्तव्य निष्ठा आज भी झलकती है। सरना धर्म से प्रेरणा ले कर सारी दुनिया में सुख, शांति और समृद्धि कायम की जा सकती है।

विशिष्ट अतिथि पूर्व विधायक शशिभूषण सामद ने शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि शिक्षा समाज को बढ़ाने का एकमात्र सशक्त माध्यम है। धर्मगुरु बगरय मुंडा, धर्मगुरु भैयाराम ओड़ेया, लाल सिंह गगरई, डॉ सीताराम मुंडा, मथुरा कंडीर, धीरजु मुंडा, करमू हेमरोम, सोमा मुंडा, सोमा हेंबरोम आदि ने विचार व्यक्त किये।

हिन्दुस्थान समाचार/ अनिल/चंद्र प्रकाश

   

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