फसल अवशेष से बढ़ती है खेत की उर्वरा शक्ति : डॉ.अजय कुमार

कानपुर, 04 फरवरी (हि.स.)। फसल अवशेष हमारे खेतों के लिए भोजन का काम करते हैं। इससे खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ने के साथ-साथ उस में उत्पादित उपज की गुणवत्ता भी बढ़ती है। यह बात रविवार को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के कृषि विज्ञान केंद्र दलीप नगर द्वारा ग्राम पांडेय निवादा गांव में फसल अवशेष प्रबंधन पर आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में केन्द्र के प्रभारी डॉ अजय कुमार सिंह ने कही।

उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि पराली तथा फसल के अन्य अवशेष खेत में डालकर उर्वरा शक्ति को बढ़ाए। इस मौके पर केंद्र के मृदा वैज्ञानिक डॉ खलील खान ने कृषकों को बताया कि किसान भाई पराली को खेतों में मिलाएं तथा खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाएं एवं अपनी पराली में बिल्कुल भी आग न लगाएं । जिससे पर्यावरण प्रदूषित होता है एवं आवश्यक पोषक तत्वों का नुकसान होता है।

इसी क्रम में वरिष्ठ गृह वैज्ञानिक डॉक्टर मिथिलेश वर्मा ने बताया कि फसल अवशेष प्रबंधन की कई मशीनें हैं जो पराली को आसानी से खेत में मिला सकते हैं तथा वेस्ट डी कंपोजर द्वारा फसल कम समय में पराली को सड़ा कर आगामी फसल बोई जा सकती है। यह मशीनें हैप्पी सीडर,सुपर सीडर एवं मल्चर आदि है।

कार्यक्रम में डॉक्टर निमिषा अवस्थी ने महिलाओं को स्वयं सहायता समूह बनाने के लिए प्रेरित किया। जबकि डॉक्टर राजेश राय ने केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न कृषक हितैषी योजनाओं की जानकारी दी। इस अवसर पर प्रगतिशील कृषक रामआसरे राजपूत,छुन्ना, राम शंकर, सियाराम एवं मुन्नीलाल सहित एक सैकड़ा किसान उपस्थित रहे। हिन्दुस्थान समाचार/राम बहादुर/बृजनंदन

   

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