हल्द्वानी के विवादित बगीचे पर उच्च न्यायालय में हुई सुनवाई

नैनीताल, 14 फ़रवरी (हि.स.)। हल्द्वानी के बनभूलपुरा में बीती 8 फरवरी को हुईं हिंसक वारदात के बाद चर्चा में आये ‘मलिक का बगीचा’ और नजाकत अली के बगीचे के मामले में बुधवार को उत्तराखंड उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। मामले में याचिकाकर्ता साफिया मालिक की ओर से वरिष्ठ न्यायाधीश सलमान खुर्शीद ने वर्चुअल यानी ऑनलाइन माध्यम से पैरवी की।

सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय की वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने सरकार से चार सप्ताह में जवाब देने और याचिकाकर्ता से दो सप्ताह के भीतर प्रति उत्तर देने को कहा। इसके बाद यानी 6 सप्ताह बाद उच्च न्यायालय इस मामले में अगली सुनवाई कर सकता है।

उच्च न्यायालय में बहस के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि उन्हें नोटिस जारी करने के चार दिनों के भीतर उनकी संपत्ति को ध्वस्त कर दिया गया जबकि कार्यवाही 15 दिनों के बाद की जाती है। उन्हें उस भूमि से न हटाया जाए और उनके निर्माण का ध्वस्तीकरण नियमित कानूनी प्रक्रिया के बाद ही किया जाए।

दूसरे कार्यों के लिए इस्तेमाल पर स्वतः निरस्त मानी जाती है लीज

इस दौरान न्यायालय ने कहा कि विवादित भूमि को नजूल लैंड बताया गया है, जो 10 वर्षों की लीज पर कृषि कार्यों के लिए दी गई थी लेकिन लीज खत्म होने के बाद उसका नवीनीकरण नहीं हुआ। यह भी कहा कि नियम के अनुसार अगर दिए गए कारण यानी कृषि के अलावा भूमि को दूसरे कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जाता है तो लीज स्वतः निरस्त मानी जाती है। महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने बताया कि सरकार ने सभी नियमों का पालन करते हुए ही भूमि में अतिक्रमण को ध्वस्त किया है।

हिन्दुस्थान समाचार/डॉ.नवीन जोशी/रामानुज

   

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