सड़क दुर्घटना में वाहन का बीमा न होने पर कोर्ट से भी नहीं मुक्त हो पाएगा वाहन

-वाहन को मुक्त करने से पहले जमा करनी होगी दुर्घटना में घायल या मृत व्यक्ति के मुआवजे की प्रतिकर राशि

-न्यायिक मजिस्ट्रेट हल्द्वानी के दुर्घटना में शामिल वाहन को मुक्त किए जाने के आदेश को दी गई थी चुनौती

नैनीताल, 17 फ़रवरी (हि.स.)। अब कोई भी वाहन बिना बीमा कराये सड़क पर चला पाना मुश्किल होगा। इस संबंध में नैनीताल जनपद के प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश हल्द्वानी ने अहम फैसला दिया है। आदेश के अनुसार कोई भी वाहन बिना बीमा कराये सड़क पर चला पाना मुश्किल होगा। सड़क दुर्घटना में वाहन का बीमा न होने पर वाहन कोर्ट से भी मुक्त नहीं हो पाएगा।

वाहन मुक्त करने से पहले दुर्घटना में घायल या मृत व्यक्ति के मुआवजे की प्रतिकर राशि जमा करनी होगी। ऐसे एक मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट हल्द्वानी में दुर्घटना में शामिल वाहन को रिलीज किए जाने के आदेश को चुनौती दी गई थी। दुर्घटना में शामिल वाहन घटना के दिन बीमित नहीं था। इस पर न्यायालय ने आदेश दिया कि वाहन रिलीज करने से पहले दुर्घटना में घायल या मृत व्यक्ति के मुआवजे की प्रतिकर राशि जमा करनी होगी।

मामले के अनुसार वाहन स्वामी धरम सिंह द्वारा पुलिस द्वारा सीज किये गये वाहन-ट्रेक्टर संख्या यूके04एफ-1913 को मुक्त कराने के लिये न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया था, जिसे न्यायालय ने बीते वर्ष 14 मार्च 2023 को स्वीकार कर वाहन को वाहन स्वामी को मुक्त करने का आदेश पारित किया था। इस आदेश पर सोबन सिंह कुंवर नाम के व्यक्ति ने न्यायालय में एक रिकाल प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर कहा कि 29 जनवरी 2023 को मुक्त किये गये ट्रेक्टर के चालक ने तेजी व लापरवाही से चलाये जाने के कारण सड़क दुर्घटना में उसके यानी सोबन सिंह कुंवर के पुत्र को गम्भीर चोटें आयी थी।

इस पर उसने थाना कालाढूंगी में प्राथमिकी दर्ज करवायी थी। दुर्घटना के समय संबंधित ट्रेक्टर का रजिस्ट्रेशन वैध नहीं था और ट्रेक्टर दुर्घटना के समय बीमित भी नहीं था। साथ ही चालक ने लाइसेंस भी प्रस्तुत नहीं किया था। मामले में पैरवी करते हुये पीड़ित के अधिवक्ता पंकज कुलौरा ने न्यायालय में दलील दी कि सड़क दुर्घटना के मामले में बिना वैध बीमा के संचालित हो रहे किसी भी वाहन को उत्तराखंड मोटर वाहन नियमावली 2011 (चतुर्थ संशोधन 2016) के नियम 2005 बी-2, 3 तथा 4 के अंतर्गत तब तक मुक्त नहीं किया जा सकता है, जब तक कि वाहन स्वामी दुर्घटना में पीड़ित को प्राप्त होने वाली प्रतिकर धनराशि के समान प्रतिभूति जमा ना कर दे।

ऐसा ना करने पर वाहन को रिलीज नहीं किया जायेगा तथा वाहन को नीलाम कर प्राप्त होने वाली धनराशि को संबंधित न्यायालय या ट्रिब्यूनल में जमा किया जायेगा। इस संबंध में उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जय प्रकाश बनाम नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड के मामले में वर्ष 2010 में दिये गये आदेश का भी हवाला दिया।

इस पर प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश कंवर अमनिन्दर सिंह की अदालत ने वाद को स्वीकार करते हुए व पूर्व आदेश को निरस्त करते हुए वाहन स्वामी को निर्देशित किया है कि वह इस आदेश के 10 दिन के भीतर संबंधित ट्रेक्टर को पुनः थाना कालाढूंगी में दाखिल करें। साथ ही थानाध्यक्ष थाना कालाढूंगी को निर्देशित किया है कि वह ट्रेक्टर के दाखिल होने पर सम्बन्धित मजिस्ट्रेट न्यायालय व सम्बन्धित अधिकरण को सूचित करें। यदि 10 दिन के भीतर वाहन स्वामी ट्रेक्टर को दाखिल नहीं करता है तो उस परिस्थिति में न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय को निर्देशित किया गया है कि वह संबंधित ट्रैक्टर को जब्त करने हेतु उचित आदेश पारित करें।

हिन्दुस्थान समाचार/डॉ.नवीन जोशी/रामानुज

   

सम्बंधित खबर