अशोक गहलोत ने आरसीए को बंधक बना लिया था, आरसीए को तालिबान बना दिया : नांदू

जयपुर, 27 फ़रवरी (हि.स.)। राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद भी वैभव गहलोत के खिलाफ जिला संघ के पदाधिकारियों ने मोर्चा खोल दिया है। नागौर जिला संघ के सचिव राजेंद्र सिंह नांदू ने जयपुर में कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आरसीए को तालिबान बना दिया था। उन्होंने अपने बेटे को आरसीए अध्यक्ष बनाने के लिए जमकर तानाशाही मचाई थी। उसी का नतीजा है कि आज मजबूरन उनके बेटे को इस्तीफा देना पड़ रहा है।

नांदू ने कहा कि कांग्रेस सरकार बनने के बाद प्रदेश में क्रिकेट के बुरे दिन शुरू हो गए थे। कांग्रेस सरकार ने गलत तरीके से जिला संघों के खिलाफ एडहॉक कमेटी बनाई। इसका दुष्परिणाम तो आना ही था। उन्होंने कहा कि हमने पांच साल तक वैभव गहलोत और कांग्रेस सरकार के खिलाफ संघर्ष किया। सरकार बदलने के बाद वैभव गहलोत पांच मिनट भी संघर्ष नहीं कर पाए। अगर उन्होंने इतना ही क्रिकेट का विकास किया था तो उनके साथ जिला संघों के पदाधिकारी होने चाहिए थे। आज की तारीख में एक भी पदाधिकारी वैभव गहलोत के साथ नहीं खड़ा हुआ है।

नांदू ने कहा कि समय का चक्र घूमता है। वैभव गहलोत जिस तरीके से आए थे, उसी तरीके से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा है। प्रदेश के 33 जिला क्रिकेट संघ में से तीन भी वैभव के साथ नहीं रहे। अपने कार्यकाल के दौरान वैभव गहलोत जिन साथियों से 24 घंटे घिरे रहते थे। उन्हीं लोगों ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर साइन तक कर लिए थे। जब वैभव गहलोत को पता चला कि अपने ही मेरे खिलाफ साजिश रच रहे हैं, तब मजबूरन उन्होंने खुद इस्तीफा दे दिया।

नांदू ने कहा कि वैभव गहलोत ने रामेश्वर डूडी के खिलाफ क्या हालात पैदा किए थे। वह राजस्थान की जनता से छिपा हुआ नहीं है। रामेश्वर डूडी नागौर जिला क्रिकेट संघ से लोकतांत्रिक तरीके से चुनकर आरसीए पहुंचे थे। उनके खिलाफ नियमों के विपरीत जाकर आरसीए और सरकार ने कार्रवाई की। अब सरकार बदलने के बाद उनके लोगों की निष्ठा बदल गई। कांग्रेस सरकार के जो बंधक थे, वह अब रिहा हो गए। इसकी वजह से आज ये हालात पैदा हो रहे हैं। वैसे भी अब उनके गोदाम ही खाली हो गए हैं। अकेले वैभव गहलोत करेंगे भी क्या?

नांदू ने कहा कि वैभव गहलोत के इस्तीफे से इंडियन प्रीमियर लीग के जयपुर में होने वाले मुकाबलों पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है। उनकी तरह के हजारों पदाधिकारी आते जाते रहेंगे। संस्था नियम और कानून से चलती है। आरसीए का नया अध्यक्ष कौन होगा। इस बात का फैसला प्रदेश के 33 जिला संघ के पदाधिकारी मिलकर करेंगे। मैं यह जरूर कहना चाहता हूं कि जो भी व्यक्ति अध्यक्ष बनेगा। वह लोकतांत्रिक तरीके से संविधान के स्पोट्र्स एक्ट के तहत बनाया जाएगा। वैभव गहलोत के पिता मुख्यमंत्री थे। इसलिए वैभव आरसीए के अध्यक्ष पद पर काबिज थे। जब सीएम पिता और राजस्थान सरकार की छतरी वैभव के सिर से हटी। इस तरह की घटना तो निश्चित ही होनी थी। नांदू ने कहा कि अशोक गहलोत के कार्यकाल से पूरा राजस्थान परेशान था। अशोक गहलोत ने आरसीए को बंधक बना लिया था। इसके बाद उन्होंने आरसीए को तालिबानी संस्थान बनाकर जिला संघों के खिलाफ बेवजह कार्रवाई की। अगर वैभव गहलोत ईमानदार होते तो वह मैदान छोड़कर नहीं भागते।

नांदू के साथ मौजूद भरतपुर जिला संघ के सचिव शत्रुघ्न तिवारी ने कहा कि वैभव गहलोत जोधपुर के रहने वाले थे। उन्होंने राजसमंद जाकर आरसीए का चुनाव लड़ा। उस वक्त उन्होंने दादागिरी करके तीन जिला संघों को आउट कर दिया। लेकिन, आज उनकी तानाशाही से उनके समर्थक जिला संघ ही परेशान हो गए। क्योंकि उन्होंने दादागिरी कर आरसीए में कांग्रेसी नेताओं को पोस्टिंग देना शुरू कर दिया था। उन्होंने कहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता तो कहीं कांग्रेस के महासचिव को बिठा दिया। जो रजिस्टर्ड क्रिकेटर और सेक्रेटरी थे। उन सब को हटाकर अपने लोगों को लाकर उन्होंने जमकर तानाशाही और भ्रष्टाचार किया। अब जब राजस्थान में बीजेपी की सरकार आई, तब लोगों ने उनके खिलाफ आवाज उठाना शुरू किया। इससे पहले ही डरकर वैभव ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

श्रीगंगानगर क्रिकेट संघ के सचिव विनोद सहारण ने कहा कि कांग्रेस के राज में राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के खिलाफ श्रीगंगानगर, अलवर और नागौर जिला संघ ने बड़ी लड़ाई लड़ी थी। इस लड़ाई का नतीजा है कि जब सरकार बदली तो जो लोग वैभव गहलोत के साथ थे। उन्हीं लोगों ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर ली थी।

हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/संदीप

   

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