कन्नौज : महाशिवरात्रि पर मनाया जाएगा महाराजा जयचंद्र स्मृति समारोह

- कान्यकुब्ज शिक्षा एवं समाज सेवा समिति के तत्वाधान में होने वाले वार्षिक कार्यक्रम के मुख्य वक्ता होंगे पूर्व सांसद व राष्ट्र कवि प्रो.ओमपाल सिंह `निडर`

- कार्यक्रम में प्रोफेसर सुशील राकेश शर्मा द्वारा रचित पुस्तक ‘सम्राट जयचंद’ के अंग्रेजी अनुवाद का होगा विमोचन

कन्नौज, 28 फरवरी (हि.स.)। कान्यकुब्ज शिक्षा एवं समाज सेवा समिति कन्नौज की महत्वपूर्ण बैठक बुधवार को चौधरी चंदन सिंह महाविद्यालय मकरंदनगर में समिति के अध्यक्ष नवाब सिंह यादव की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक में प्रबुद्धजनों ने गत वर्षों की भांति इस बार भी महाशिवरात्रि के दिन महाराज जयचंद्र स्मृति समारोह आयोजित करने की रूपरेखा बनाई। तय किया गया कि इस बार कार्यक्रम में बौद्धिक वर्ग के लोगों की संख्या में वृद्धि की जाए, इसके लिए समिति से जुड़े सदस्यों को मेहनत करनी होगी।

बैठक की अध्यक्षता करते हुए समिति के अध्यक्ष नबाव सिंह यादव ने कहा कि सामाजिक व सांस्कृतिक दायित्व के तहत समिति की ओर से सन् 2005 में महाराजा जयचंद के किले पर उनकी विशाल मूर्ति स्थापित की गई थी। तभी से लगातार प्रतिवर्ष महाराजा जयचंद की स्मृति में यह कार्यक्रम आयोजित होता आ रहा है। इस वर्ष भी इसका आयोजन भव्यता एवं दिव्यता से किया जाएगा।

कार्यक्रम संयोजक व वरिष्ठ पत्रकार दिनेश दुबे ने बताया कि समिति की ओर मुख्य वक्ता के रूप में पूर्व सांसद व राष्ट्र कवि प्रो. ओमपाल सिंह निडर को आमंत्रित किया गया है। निडर जी ने कार्यक्रम में आने की सहमति प्रदान कर दी है। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य महाराजा जयचंद्र पर लगे गद्दारी के दाग को धोकर उन्हें एक सम्राट की भांति मान-सम्मान दिलाना है। इतिहास के किसी भी ग्रंथ में ऐसा उल्लेख नहीं मिलता है, जिससे यह प्रामाणिकता के साथ यह साबित होता हो कि महाराज जयचंद ने किसी के साथ गद्दारी की थी। कुछ लोगों द्वारा जानबूझ कर बिना किसी प्रमाण के जनमानस में भ्रम फैलाया गया है। कन्नौज के लोग इस अपमान को अब किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं कर सकते। इसीलिए कन्नौज की प्रतिष्ठित समाजसेवी संस्था कान्यकुब्ज शिक्षा एवं समाज सेवा समिति के अध्यक्ष ने यह संकल्प लिया कि हम अपने राजा पर लगे गद्दारी के दाग को धोकर उन्हें मान सम्मान दिलाने का काम करेंगे। जिसके फलस्वरुप विगत 15 वर्षों से यह कार्यक्रम होता आ रहा है। शुरुआत में समिति की ओर से घोषणा की गई थी कि 51 हजार रुपए की धनराशि उस इतिहासकार एवं विद्वान को प्रदान की जाएगी जो महाराज जयचंद को ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर गद्दार साबित कर देगा। अब यह धनराशि 5 लाख हो चुकी है। किंतु विगत 15 वर्षों से अधिक समय होने के बाद अभी तक किसी भी इतिहासकार अथवा प्रबुद्ध व्यक्ति ने साक्ष्य के आधार पर महाराजा जयचंद को गद्दार साबित नहीं कर पाया है। इसके विपरीत अब तक देश के तमाम इतिहासकार इस बात का समर्थन कर चुके हैं कि महाराज जयचंद गद्दार ना होकर एक महान एवं प्रतापी राजा थे। इस बात को साबित करने के लिए विद्वानों द्वारा तमाम ऐतिहासिक साक्ष्य एवं प्रमाण भी प्रस्तुत किए गए हैं।

बैठक में तय किया गया कि 8 मार्च को महाशिवरात्रि के दिन महाराजा जयचंद स्मृति समारोह का आयोजन किया जाएगा। समिति के अध्यक्ष नवाब सिंह यादव ने कहा कि हमारा संकल्प दृढ़ है। हम इस कार्यक्रम को पिछले 15 वर्षों से कर रहे हैं और आगे भी इसी तरह करते रहेंगे। जब तक हम यह पूर्ण रूप से साबित नहीं कर देते कि हमारे राजा गद्दार न होकर एक प्रतापी राजा थे। पूर्वाग्रह से ग्रसित लोगों की बात को हम लोगों द्वारा कतई स्वीकार नहीं किया जायेगा। बल्कि महाराजा जयचंद को गद्दार कहने वालों को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारे कार्यक्रम को न सिर्फ जनपद और प्रदेश स्तर पर, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल चुकी है। अब वह दिन दूर नहीं जब हम इतिहास के पुनर्मूल्यांकन हेतु सरकार को बाध्य कर सकेंगे।

इस मौके पर प्रख्यात कवि एवं लेखक प्रोफेसर सुशील राकेश शर्मा ने कहा कि इतिहास की किवदंतियां अब धूमिल पड़ चुकी हैं, जिनमें महाराज जयचंद्र को गद्दार कहने का अपराध किया था। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश चंद्र शर्मा, समाजसेवी मनोज शुक्ला, अनुराग मिश्र, पूर्व प्राचार्य डॉ ओपी शर्मा, डॉक्टर रामनाथ मिश्रा, असिस्टेंट प्रोफेसर उमेश चंद द्विवेदी, समाजसेवी अजय पांडेय, सुरेंद्र कुशवाहा, डॉक्टर आर डी बाजपेई, असिस्टेंट प्रोफेसर उपेंद्र कुशवाहा, रमाकांत अवस्थी, सुशील भारद्वाज, धर्मवीर पाल राहुल शंखवार, रामबीर कठेरिया आदि लोग मौजूद रहें।

हिन्दुस्थान समाचार/संजीव झा/मोहित

   

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