परमवीर चक्र ले. कर्नल धन सिंह थापा द्वार का लोकार्पण

देहरादून, 13 मार्च (हि.स.)। सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने बुधवार को गढ़ी कैंट के डाकरा में हंस फाउंडेशन के सहयोग से निर्मित 1/8 गोरखा राइफल्स के परमवीर चक्र ले. कर्नल धन सिंह थापा द्वार का लोकार्पण किया। मंत्री ने शहीदों के सम्मान और उनके आश्रितों के कल्याण के लिए धामी सरकार की कई कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी।

इस मौके पर सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने हंस फाउंडेशन की संस्थापक माता मंगला का आभार जताते हुए कहा कि समय-समय पर प्रदेश में कई सामाजिक कार्यों में अहम भूमिका निभाता रहा है। शहीदों का सम्मान करना हर देश वासियों का कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की धामी सरकार के कई कल्याणकारी योजनाओं से सैनिकों के आश्रितों के लाभान्वित किया जा रहा है।

इस अवसर पर गोरखाली सुधार सभा अध्यक्ष पदम सिंह थापा, हंस फाउंडेशन से योगेश सुंदरियाल, मंडल अध्यक्ष ज्योति कोटिया, संध्या थापा, विष्णु गुप्ता, मीनू क्षेत्री, प्रभा शाह, कमली भट्ट, मनोज क्षेत्री सहित कई लोग उपस्थित रहे।

उल्लेखनीय है कि भारत के अधिकृत विवादित क्षेत्र में बढ़ते चीनी घुसपैठ के जवाब में भारत सरकार ने फॉरवर्ड पॉलिसी लागू की थी। चीन-भारतीय युद्ध अक्टूबर 1962 में शुरू हुआ। उस युद्ध में 8वीं गोरखा राइफल्स की प्रथम बटालियन की एक पोस्ट मेजर धन सिंह थापा की कमान में थी। इस पोस्ट पर चीनी सेनाओं ने घेर कर आक्रमण किया था। मेजर थापा और उनके सैनिकों ने इस पोस्ट पर होने वाले तीन आक्रमणों के बाद मेजर थापा सहित बचे भारतीय जवानों को चीन ने युद्धबंदी बना लिया था। इधर भारतीय सेना ने मेजर थापा के मारे जाने की सूचना के बाद केन्द्र सरकार ने उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। युद्ध समाप्त होने के बाद चीन ने युद्धबंदी की सूची में अन्य भारतीय जवानों के साथ मेजर थापा का नाम देने पर पूरे देश में खुशी का माहौल बन गया था। 10 मई, 1963 को भारत लौटने पर सेना मुख्यालय में उनका भव्य स्वागत किया गया। दो दिन बाद 12 मई को वे अपने घर देहरादून पहुँच गये; पर वहाँ उनका अन्तिम संस्कार हो चुका था और उनकी पत्नी विधवा की तरह रह रही थी। अतः गोरखों की धार्मिक परम्पराओं के अनुसार उनके कुल पुरोहित ने उनका मुण्डन कर फिर से नामकरण किया। इसके बाद उन्हें विवाह की वेदी पर खड़े होकर अग्नि के सात फेरे लेने पड़े। इस प्रकार अपनी पत्नी के साथ उनका वैवाहिक जीवन फिर से प्रारम्भ हुआ।

हिन्दुस्थान समाचार/राजेश/सुनील

   

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